अग्निपथ स्कीम को लेकर युवाओं का संशय दूर करेंगे बीजेपी नेता और मंत्री, ये है पूरा प्लान


रिपोर्ट: संकेत मिश्रा

लखनऊ. सेना में भर्ती को लेकर केंद्र की नई योजना अग्निपथ को लेकर बिहार, उत्तर प्रदेश, हरियाणा समेत तमाम राज्यों में हो रहे हिंसक प्रदर्शन को देखते हुए बीजेपी ने नई रणनीति तैयार की है. अब बीजेपी के नेता और मंत्री युवाओं का संशय दूर करने के लिए जिलों में जाएंगे. अग्निपथ स्कीम को लेकर जो भी संशय युवाओं के मन में है उसे दूर करने के लिए हर जिले में युवाओं से संवाद कार्यक्रम किया जाएगा.

बीजेपी ने अपने मंत्रियों मंत्रियों और सांसदों को यूपी के सभी जिलों में युवाओं से संवाद कार्यक्रम करने का निर्देश दिया है. इस कार्यक्रम में बीजेपी संगठन के राष्ट्रीय और प्रदेश पदाधिकारियों की जिलों में सभाएं होंगी. इसके साथ ही युवाओं से संवाद कार्यक्रम का प्रसारण बीजेपी के शक्ति केन्द्र, मंडल और बूथ स्तर तक किया जाएगा. गौरतलब है कि अग्निपथ स्कीम को लेकर हो रहे बवाल के बाद बीजेपी के शीर्ष नेताओं ने कमान संभाल लिया है. बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत तमाम केंद्रीय मंत्रियों ने युवाओं को समझाने की कोशिश शुरू कर दी है.

क्या है अग्निपथ योजना? 
भारतीय सशस्त्र बलों में भर्ती से संबंधित ‘अग्निपथ योजना’ में चयनित उम्मीदवारों को 4 साल की अवधि के लिए थल सेना, वायु सेना और नौसेना में अग्निवीर के रूप में काम करने का मौका मिलेगा. चार साल की अवधि पूरी होने पर, ये अग्निवीर एक अनुशासित, गतिशील, प्रेरित और कुशल श्रमशक्ति के रूप में अन्य क्षेत्रों में रोजगार पाने के उद्देश्य से अपनी पसंद के पेशे में करियर बनाने हेतु सिविलियन के रूप में वापस लौटेंगे. सशस्त्र बलों द्वारा घोषित संगठनात्मक जरूरतों एवं नीतियों के अनुरूप अपनी संलग्नता की अवधि पूरी कर लेने के बाद इन अग्निवीरों को स्थायी संवर्ग में नामांकन के लिए आवेदन करने का एक अवसर प्रदान किया जाएगा. इनमें से 25 प्रतिशत अग्निवीरों को सशस्त्र बलों में नियमित संवर्ग के रूप में नामांकित होने के लिए चुना जाएगा. यह योजना देश की सेवा करने के इच्छुक भारतीय युवाओं को कम अवधि के लिए सशस्त्र बलों में भर्ती होने का अवसर प्रदान करती है. यह योजना सशस्त्र बलों के युवाओं के प्रोफाइल को बेहतर करती है. इस प्रस्ताव के तहत युवाओं को कम अवधि के लिए सेना में कार्य करने का अवसर प्रदान करने की परिकल्पना की गई है. इस कदम के जरिए सशस्त्र बलों में युवाओं और अनुभवी कर्मियों के बीच एक अच्छा संतुलन सुनिश्चित करके एक अपेक्षाकृत अधिक युवा और तकनीकी रूप से सक्षम युद्ध लड़ने वाले सैन्य बल को भी तैयार किया जा सकेगा.

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