मेरठ में द्वादश ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने हों तो आ जाइए औघड़नाथ मंदिर, परिक्रमा करते हुए नजर आएंगे महादेव


रिपोर्ट – विशाल भटनागर

मेरठ. शहर के कैंट में स्थित ऐतिहासिक औघड़नाथ मंदिर में भक्तों को अब एक स्थान पर ही भोलेनाथ के सभी स्वरूपों के दर्शन हो जाएंगे. जी हां आप सोच रहे होंगे कि ऐसा कैसे हो सकता है. इसके लिए मंदिर प्रशासन ने खास व्यवस्था की है. इसके तहत भक्तों के मंदिर में प्रवेश करते ही बाबा औघड़दानी का जलाभिषेक करने का अवसर प्राप्त होगा. साथ ही भक्त जब मंदिर की परिक्रमा करेंगे तो उस दौरान वे सभी द्वादश ज्योतिर्लिंगों के दर्शन भी कर पाएंगे. इसके लिए मंदिर प्रशासन ने दीवारों पर विशेष रूप से ज्योतिर्लिंगों की आकृति बनवाई गई है.

मंदिर परिसर की दीवारों पर सभी ज्योतिर्लिंगों की छवि को देखकर मन प्रफुल्लित हो जाएगा. क्योंकि दीवारों पर एक तरफ जहां बारह ज्योतिर्लिंगों के मंदिर के आकार को दर्शाया गया है. वहीं भोले बाबा का स्वरूप भी दिखाया गया है. इसके लिए मंदिर समिति ने शिलापट पत्थर पर नक्काशीदार ज्योतिर्लिंग के डिजाइन राजस्थान में बनवाए हैं. मंदिर समिति के अध्यक्ष महेश कुमार बंसल ने News18local से बातचीत करते हुए बताया कि कलाकारों से विशेष रूप से इस प्रकार की आकृति बनवाई गई है. इसका मकसद यह है कि जो भी भक्त मंदिर आएं वे भोले बाबा के विभिन्न स्वरूपों के भी दर्शन कर सकें.

प्रथम क्रांति का उद्घोष स्थल है मंदिर

10 मई 1857 को प्रथम स्वतंत्रता संग्राम शुरू हुआ था. अंग्रेजों के खिलाफ इसी मंदिर के प्रांगण से बिगुल फूंका गया था. कहा जाता है कि यहां एक साधु रहते थे जिन्होंने आजादी की चिंगारी सैनिकों के मन में जगाई थी. उसके बाद ही अंग्रेजों के खिलाफ भारतीय सैनिकों ने बिगुल बजा दिया. मंदिर परिसर में शहीदों की याद में शहीद स्मारक भी बना हुआ है.

सावन में उमड़ता है भक्तों का सैलाब

सावन के पवित्र महीने में कांवड़ियों के साथ आम भक्तों का सैलाब मंदिर में देखने को मिलता है. कभी कभी तो यह संख्या लाखों तक पहुंच जाती है. मंदिर की तरफ आने वाले विभिन्न मार्गों में लंबी-लंबी लाइनें भक्तों की लगी रहती हैं. हालात यह होते हैं कि सुबह चार बजे से जलाभिषेक शुरू होता है और देर रात्रि तक प्रक्रिया चलती रहती है.

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