नवदुर्गा को करें अर्पित
प्रतिपदा- उड़द, हल्दी, माला-फूल
द्वितीया-तिल, शक्कर, चूड़ी, गुलाल शहद
तृतीया-लाल वस्त्र, शहद, खीर, काजल
चतुर्थ- दही, फल, सिंदूर, मसूर
पंचमी-दूध, मेवा, कमलपुष्प, बिंदी
षष्ठी-चुनरी, पताका, दूर्वा
सप्तमी-बताशा, इत्र, फल-पुष्प
अष्टमी-पूड़ी, पीली मिठाई, कमलगट्टा, चंदन, वस्त्र
नवमी-खीर, सुहाग सामग्री, साबुदाना, अक्षत फल, बताशा
दुर्गासप्तशती के पाठ से मिलता है फल
दुर्गासप्तशती के एक पाठ से फलसिद्धि, तीन से उपद्रव शांति, पांच से सर्वशांति, सात से भय मुक्ति, नौ से यज्ञ के समान फल, 11 पाठ से राज्य की प्राप्ति, बारह पाठ से कार्यसिद्धि, चौदह पाठ से वशीकरण, पंद्रह पाठ से सुख-संपत्ति, सोलह पाठ से धन व पुत्र की प्राप्ति, सत्रह पाठ से राजभय व शत्रु रोग से मुक्ति, 20 पाठ से ग्रहदोष शांति और पच्चीस पाठ से बंधन मुक्ति।