यूपी चुनाव में जीत के बाद अब डिफेंस कॉरिडोर बनाने में जोर-शोर से जुटी योगी सरकार


लखनऊ. उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव (UP Assembly Elections 2022) में बड़ी जीत के साथ ही योगी आदित्यनाथ सरकार (Yogi Adityanath Government) सैन्य साजोसामान के निर्माण के लिए अपनी महत्वाकांक्षी रक्षा कॉरिडोर प्रोजेक्ट (Defence Corridor) को पूरा करने में जुट गई है और पिछले साल अलीगढ़ में ऐसे ही एक कॉरिडोर का उद्घाटन करने के बाद योजना के चार नोड्स के विकास की प्रक्रिया शुरू कर दी है.

केंद्र ने देश में दो डिफेंस कॉरिडोर स्थापित करने का निर्णय लिया है, जिसमें एक तमिलनाडु में और दूसरा उत्तर प्रदेश में बन रहा है. इसके तहत यूपी के आगरा, अलीगढ़, झांसी, चित्रकूट, लखनऊ और कानपुर में नोड्स होंगे.

रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत
रूस और यूक्रेन के बीच संघर्ष ने भारत जैसे देश के लिए रक्षा निर्माण के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की जरूरत में और इजाफा किया है. ऐसे में यूपी सरकार ने 11 मार्च को झांसी, चित्रकूट, लखनऊ और कानपुर में रक्षा उद्योग की स्थापना के लिए नोड्स की डिजाइनिंग के लिए बोलियां आमंत्रित की हैं. यूपी ने अब तक रक्षा कॉरिडोर में 4,000 करोड़ रुपये के निवेश के 74 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं और करीब 1,250 करोड़ रुपये के निश्चित निवेश के साथ अलीगढ़ नोड में 22 कंपनियों को 74 हेक्टेयर भूमि आवंटित की है.

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उत्तर प्रदेश सरकार ने मंगलवार को अगले तीन वर्षों के लिए आईआईटी कानपुर और आईआईटी बीएचयू के साथ एक समझौता ज्ञापन के विस्तार पर हस्ताक्षर किए, ताकि इसे डिफेंस कॉरिडोर परियोजना में निवेश बढ़ाने के लिए नॉलेज पार्टनर के रूप में मदद मिल सके. इस बीच अगली पीढ़ी (ब्रह्मोस-NG) मिसाइल योजना के लिए ब्रह्मोस एयरोस्पेस यूनिट की आधारशिला लखनऊ में रखी गई है और यूपी द्वारा भारत डायनेमिक्स लिमिटेड को झांसी में रक्षा निर्माण इकाइयों के लिए जमीन भी प्रदान की गई है. यह रक्षा मंत्रालय और यूपी सरकार के बीच समन्वय से स्थापित किया गया है.

आगे की राह
इस परियोजना में बनाए जाने वाले छह नोड्स आकार में भी भिन्न हैं. जहां अलीगढ़ सबसे छोटा कॉरिडोर होगा, जिसमें 77 हेक्टेयर का अधिग्रहित क्षेत्र है, वहीं झांसी 1,000 हेक्टेयर के चिह्नित क्षेत्र के साथ सबसे बड़ा कॉरिडोर है.

इस कॉरिडोर के विकास के प्रथम चरण में प्रत्येक नोड में बुनियादी ढांचा उपलब्ध कराया जा रहा है, जिसमें चारदीवारी, सड़क, बिजली आपूर्ति और पानी की आपूर्ति शामिल है. अलीगढ़ में नोड पर बुनियादी ढांचा विकास कार्य पहले से ही जारी है, जबकि आगरा में भूमि खरीद का दूसरा चरण चल रहा है.

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सरकार ने अब इन कार्यों के लिए झांसी, कानपुर, चित्रकूट और लखनऊ नोड्स में व्यापक वास्तु सलाहकारों के परामर्श मांगे हैं. यहां यह बता दें कि कानपुर नोड 203 हेक्टेयर, झांसी नोड 1,000 हेक्टेयर और चित्रकूट और लखनऊ 100 हेक्टेयर में फैला हुआ है. इस परियोजनाओं को राष्ट्रीय स्मार्ट सिटी मिशन के साथ जोड़ा जाएगा, क्योंकि छह चिह्नित नोड्स में से पांच स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत हैं.

इन कॉरिडोर की विकास योजना में पर्यावरणीय संतुलन का भी खास ध्यान रखना होगा, क्योंकि यहां एयरोस्पेस, हथियार, विस्फोटक, धातु, मिश्र धातु, सीबीआरएन, अग्नि सुरक्षा उपकरण और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे रडार और सेंसर जैसे उद्योगों का एक विस्तृत स्पेक्ट्रम होगा.

News18 ने इस परियोजना से जुड़ा जो दस्तावेज देख है, उसके मुताबिक, ‘चूंकि ये उत्पाद बनाने वाले औद्योगिक निकाय हैं, इसलिए वे बहुत सारे औद्योगिक अपशिष्ट पैदा करेंगे. इसके अलावा इस सेक्टर की प्रकृति के कारण ये इकाइयां ऐसे अपशिष्ट पदार्थ उत्पन्न करेंगी जो खतरनाक प्रकृति की होंगी. इसलिए योजना बनाने में शामिल सभी हितधारकों को पर्यावरणीय प्रभाव को ध्यान में रखकर ही आगे बढ़ना होगा.’

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