ये पब्लिक है, सब जानती है:अलीगढ़ सांसद और ओजोन बिल्डर के बीच छिड़े विवाद से खराब हो रही भाजपा की छवि – Controversy Between Aligarh Mp And Ozone Builder Tarnishes Bjp Image


ओजोन सिटी की जर्जर सड़क
– फोटो : अमर उजाला

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अलीगढ़ में ओजोन सिटी की ओर जाने वाला रिंग रोड निर्माण कुछ लोगों के न्यस्त स्वार्थों और अहं की लड़ाई के रोलर में बुरी तरह से पिस रहा है। इससे भाजपा की भद भी पिट रही है। ओजोन सिटी ग्रुप के चेयरमैन प्रवीण मंगला और भाजपा सांसद सतीश गौतम के बीच छिड़ी जंग के कई पहलू सामने आ रहे हैं।

हैरत की बात यह है कि जिन लोगों पर सड़क के निर्माण में अड़ंगा डालने के आरोप लगे हैं उन्होंने स्वयंभू तरीके से खुद को विकास पुरुष घोषित कर दिया है। प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी के विकास पुरुष होने पर तो उनके आलोचक भी सवाल नहीं उठा सकते। लेकिन स्थानीय विकास पुरुषों, आप क्या हैं अथवा आपने कितना विकास किया है, इसके बारे में ये पब्लिक है..सब जानती है।

सांसद सतीश गौतम ने कहा कि बिल्डर प्रवीण मंगला ने जंगल में कॉलोनी बसा ली। सड़क बननी मुश्किल है। दूसरी ओर, पार्टी के ही सांसद राजवीर दलेर, भाजपा जिलाध्यक्ष और सभी विधायकों की राय न सिर्फ इससे अलग है, बल्कि उन्होंने तो प्रदेश के मंत्री को सड़क निर्माण की प्रबल संस्तुति करते हुए बाकायदा पत्र लिखा है। अगर सांसद, उनके रिश्तेदार या कुछ समर्थक सही हैं तो जाहिर है कि दूसरे सांसद और जिलाध्यक्ष समेत भाजपा के सभी विधायक गलत हैं। सवाल यह है कि इतने लोग एक बिल्डर की तरफदारी करते हुए किसी गलत बात की हिमायत क्यों कर रहे हैं। साफ है, कि इस मुद्दे पर अलीगढ़ भाजपा पूरी तरह से दो-फाड़ नजर आ रही है। संख्या बल किससे साथ ज्यादा है, यह कहने की जरूरत नहीं है।

अगर कोई जनप्रतिनिधि यह सोचे कि किसी सड़क के बन जाने से सिर्फ एक बिल्डर को फायदा होगा तो उसकी सोच पर सवाल जरूर उठेंगे। भाजपा के एक पदाधिकारी ओजोन सिटी प्रोजेक्ट में घर खरीदने वालों लगभग धमकाने के अंदाज में चेता रहे हैं। इस प्रोजेक्ट में पैसा फंसा कर बड़ा बुरा किया। लेकिन, विकास पुरुषों, जो लोग रामघाट रोड से ओजोन सिटी की ओर वाहन लेकर निकलते हैं जरा उनसे इस सड़क पर चलने का दर्द पूछिए। लगता है कि हम प्राग् ऐतिहासिक काल के किसी मार्ग पर आ गए हों। बुरी तरह उधड़ चुकी जमीन को सड़क ही नहीं कहा जा सकता। हड्डियां हिल जाती हैं जनाब। वाहनों के कल-पुर्जे ढीले हो जाते हैं। टायरों का कचूमर निकल जाता है। किसी गर्भवती को इस मार्ग से निकलना हो तो यकीनन मार्ग में ही प्रसव हो जाएगा। एक तर्क दिया जाता है कि सड़क सपा के शासनकाल में बनी। 

सवाल यह भी है कि आपने क्या किया? योगी सरकार के भी लगभग छह साल हो गए। ऐसी घटिया सड़क बनाने वालों को क्या सजा दी गई। अकेले ठेकेदार ही जिम्मेदार तो होगा नहीं, कुछ अफसर, कुछ तत्कालीन नेता भी जरूर इसके लिए जिम्मेदार होंगे। लेकिन किसी का बाल बांका नहीं हुआ। सत्ता तो आपके हाथ में है।  ऐसे में यह नाकामी किसकी है। क्या आप चाहते हैं कि सपा शासनकाल में ठेकेदार-अफसरों, नेताओं की गलती का खामियाजा आम लोग भुगतें? क्या इसकी कोई समय सीमा है। आप दोषियों को फांसी पर लटकाइये लेकिन उन्हें तो न सताइए जिन्होंने वोट देकर आपको इस काबिल बनाया है कि आप उनके भाग्यविधाता बन सकें। दुष्यंत कुमार का एक शेर है- यहां तक आते-आते सूख जाती हैं सभी नदियां, मुझे मालूम है पानी कहां ठहरा हुआ होगा।



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