ये क्‍या है! एक पर‍िवार ज‍िसने 5 या 10 महीने नहीं… 17 महीने तक एक मुर्दा को समझा ज‍िंदा?


हाइलाइट्स

रोजाना पूजा पाठ करने वाले झाड़-फूंक करने वाले भी यहां पर आया करते थे.
डीएम ने भी मनोचिकित्सक की एक टीम बनाई है, जो लगातार घरवालों पर के पास जाकर उनकी काउंसलिंग कर रही है

उत्‍तर प्रदेश के कानपुर में हैरान करने वाली कहानी सामने आई है, जो सबको आश्चर्यचकित कर रही है. दरअसल यहां पर 17 महीनों तक परिवार वाले एक मुर्दा को जिंदा समझकर उसकी देखरेख करते रहे और मन बहलाते रहे कि वह जिंदा है ना जाने क्या-क्या कर दिया इन 17 महीनों में?

कानपुर के रावतपुर थाना क्षेत्र के कृष्णापुरी इलाके में रहने वाले विमलेश कुमार 17 महीने तक मरने के बाद भी अपने अंतिम संस्कार का इंतजार करते रहे वह भी सिर्फ इसलिए कि उनके परिवार वाले उन्हें जबरन जिंदा रखे हुए थे. उनके साथ रोजाना नए-नए कार्य कर रहे थे. अगर जांच करने गई टीम की माने तो यहां पर विमलेश के सब के साथ जिस ऑक्सीमीटर का प्रयोग किया जा रहा था वह मीटर भी खराब था और तो और रोजाना पूजा पाठ करने वाले झाड़-फूंक करने वाले भी यहां पर आया करते थे. विमलेश के परिवार का यह हाल तब है जब सभी पढ़े-लिखे हैं और गवर्नमेंट जॉब कर रहे हैं पत्नी खुद बैंक में ऑफिसर है भाई सिंचाई विभाग में है और एक भाई ठेकेदारी करता है. मगर उसके बावजूद भी अंधविश्वास और मानसिक स्थिति सही ना होने की वजह से 17 महीनों तक इस तरह की क्रिया घरवाले विमलेश के साथ करते रहे.

जब आयकर विभाग के अधिकारियों को इसकी जानकारी हुई, तो उन्होंने स्वास्थ्य महकमे को लिखा और फिर क्या था खुलासा ऐसा हुआ जो सबको हैरान कर गया. विमलेश के अंतिम संस्कार के साथ अब तमाम सवाल हैं जिनके जवाब अभी मिलना बाकी है. फिलहाल पुलिस ने जांच कमेटी बना दी है और डीएम ने भी मनोचिकित्सक की एक टीम बनाई है, जो लगातार घरवालों पर के पास जाकर उनकी काउंसलिंग कर रही है और उनसे यह जानने का प्रयास कर रही है कि आखिर 17 महीने तक विमलेश के शव को क्यों रखे रहे? विमलेश के भाई सिर्फ एक ही बात पर हुए हैं कि वह अभी तक जिंदा थे बस अभी मरे हैं मैं और परिजन कुछ भी बोलने से बचते नजर आ रहे हैं.

दरअसल विमलेश का परिवार क्षेत्र के मोहल्ले के लोगों से भी बोलचाल नहीं रखता था. आसपास के रहने वाले लोग भी हैरान हैं कि आखिर उन तक कोई बदबू क्यों नहीं पहुंची और 17 महीने तक क्यों विमलेश का शव घर में रखा रहा. हालांकि मोहल्ले के लोगों को शक तो जरूर था तो कि आए दिन झाड़-फूंक करने वाले आते रहते थे. मोहल्ले के लोगों का कहना है कि माताजी काफी झाड़-फूंक करती हैं और रोजाना कोई न कोई मौलाना या मौलवी आते रहते थे. फिलहाल इस पूरे मामले पर पुलिस का कहना है कि कोई भी अपराध की स्थिति यहां पर समझ में नहीं आ रही है. अभी तक की जांच में कोई अपराध सामने नहीं आया है. फि‍लहाल जांच चल रही है जैसे ही तथ्य सामने आएंगे आगे उसी के आधार पर कार्य किया जाएगा. वहीं मौके पर पहुंची मनोचिकित्सक की टीम भी कैमरे के सामने कुछ भी बोलने से बचती नजर आ रही है.

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