विश्व पुस्तक दिवस पर खास: डिजिटल क्रांति के बीच किताबों को सहेजने का काम करते हैं झांसी के ये युवा


(रिपोर्ट – शाश्वत सिंह)

किताबें मनुष्य की सबसे अच्छी दोस्त होती हैं.किताब है जो दुनिया को देखने का एक नया नजरिया देती हैं.लेकिन,डिजिटल क्रांति के इस युग में युवा किताबों से दूर होते जा रहे हैं. ई-बुक और ऑडियो के माध्यम से किताबों के उपलब्ध होने के कारण युवा किताबों की खुशबू से दूर होते जा रहे हैं जो एक समय में लोगों को आकर्षित करती थी.आधुनिकता और क्रांति के इस दौर के बीच में भी कुछ ऐसे युवा हैं जो आज भी किताबों को पढ़ने का, लिखने का और उन्हें सहेजने का काम करते हैं.झांसी के रहने वाले दो युवा समित खालिदी और अनमोल दुबे ना सिर्फ किताबें पढ़ने का शौक रखते हैं बल्कि किताबें लिखते भी हैं.

बचपन से ही था किताबे पढ़ने का शौक
समित खालिदी ने बताया कि उन्हें बचपन से ही किताबें पढ़ने का शौक था.जब वह बड़े हुए तो उनका झुका आध्यात्म के तरफ हुआ.अध्यात्म को और बेहतर तरीके से समझने के लिए उन्होंने किताबें पढ़ना शुरू किया.इसके साथ ही उन्होंने अंग्रेजी साहित्य किताब को पढ़ना भी शुरू किया.किताब पढ़ने के साथ उन्हें महसूस हुआ कि युवाओं तक आध्यात्म को आसान भाषा में पहुंचाने के लिए किताब भी लिखी जानी चाहिए.

काव्य संग्रह और आध्यात्म पर लिखी किताब

समित ने अध्यात्म पर किताब लिखने के साथ ही एक काव्य संग्रह भी लिखा.इसके अलावा स्ट्रेस और डिप्रेशन से परेशान युवाओं के लिए भी किताब लिखी.खुद को सकारात्मक रखते हुए जीवन में किस प्रकार आगे बढ़ा जाए, इसके तरीके उस किताब में बताए गये हैं.

किताब को मिला पाठकों का प्यार
अनमोल ने भी बहुत कम उम्र में ही अपनी अपने द्वारा रचित कहानियों के संग्रह को एक किताब का रूप देकर प्रकाशित किया है. कारवां गुलाम रूहों नाम की इस किताब ने पाठकों को इतना आकर्षित किया कि 1 वर्ष के भीतर ही इसका दूसरा संस्करण भी बाजार में आ चुका है. उनकी अगली किताब भी जल्द बाजार में आने वाली है.

पाठक की रुचि को ध्यान में रखकर लिखें किताब
अनमोल कहते हैं कि आज के युवा किताब पढ़ना चाहते हैं बशर्ते किताब उनकी रूचि और आसान भाषा में हो. उन्होंने कहा कि नए युग के लेखक युवाओं की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए किताबें लिख रहे हैं.नवीन चौधरी, अंकिता जैन, कुलदीप राघव जैसे लेखकों की किताबें युवाओं को काफी पसंद आ रही हैं.

युवा पाठकों को जोड़ने के लिए शुरू किया प्लेटफॉर्म
किताबों से दूर होते जा रहे युवाओं को उनकी तरफ दोबारा आकर्षण करने के लिए अनमोल ने बुक वाला नाम से एक प्लेटफार्म भी शुरू किया है.इस प्लेटफॉर्म के माध्यम से लेखकों और युवा पाठकों को एक मंच पर ला रहे हैं.उन्होंने बताया कि झांसी और बुंदेलखंड क्षेत्र के लगभग 10 हजार युवा जुड़े हुए हैं.

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