वाराणसी. बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में भी तमिलनाडु की प्रसिद्ध मणिक्य माला (Manikya Mala) तैयार होगी. काशी तमिल संगमम में दक्षिण भारत से आए कलाकार बीएचयू (BHU) के स्टूडेंट्स को इसका हुनर सिखा रहे हैं. एमपी थ्रिएटर मैदान में लगे स्टॉल पर ही एस शंकर लिंगम छात्रों को इसकी ट्रेनिंग दे रहे हैं. बता दें कि इस माला को गुलाब की पंखुड़ियों से तैयार किया जाता है.तमिलनाडु के तमाम मंदिरों में हर दिन देवताओं को ये माला चढ़ाई जाती है.
फिलहाल बीएचयू के विसुअल आर्ट्स डिपार्टमेंट के छह स्टूडेंट्स इसे बनाने की ट्रेनिंग ले रहे हैं. दो शिफ्ट में एस शंकर लिंगम इसे बनाने का हुनर सिखा रहे हैं. शंकर लिंगम ने बताया कि उनके परिवार के 25 लोग इस माला को तैयार करते हैं जिसकी डिमांड मंदिरों के अलावा शादियों और बड़े कार्यक्रमों के आयोजन में होती है. इस माला को ताजे गुलाब के फूलों के पंखुड़ियों से बनाया जाता है. कई बार ऐसा होता है कि इसे बनाने में गुलाब के कांटे भी उंगलियों में चुभ जाते हैं, लेकिन इन तमाम दिक्कतों के बाद भी कलाकार इसे तैयार करते हैं.
20 हजार तक है कीमत
बताते चलें कि तमिलनाडु के पद्मनाभन स्वामी मंदिर में हर दिन इस माला को चढ़ाया जाता है. इसके अलावा तमिलनाडु जाने वाले हर खास वीवीआईपी का स्वागत भी इसी माला से होता है. बात यदि इसकी कीमत की करें तो इसकी कीमत 200 से लेकर 20 हजार रुपये तक है. खास बात ये है कि अब तमिलनाडु की ये प्रसिद्ध माला काशी में भी तैयार होगी. माला बनाने की ट्रेनिंग ले रही बीएचयू की स्टूडेंट ज्योतिका मौर्य ने बताया कि फिलहाल वो अभी इसके छोटे पैटर्न को बनाने की प्रैक्टिस कर रही हैं. उनके अलावा यहां कुल 6 स्टूडेंट्स भी इसे बनाने की ट्रेनिंग ले रहे हैं.
खूबसूरती करेगी अपनी ओर आकर्षित
ज्योतिका मौर्य ने बताया कि ये माला बेहद खूबसूरत है और गुलाब की ताजे पंखुड़ियों के कारण ये चार से पांच दिनों तक टिक भी जाती है और इसकी खुशबू भी लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है. उन्होंने बताया कि इसे बनाने में चंबा फाइवर का इस्तेमाल होता है, लेकिन काशी में चंबा फाइवर नहीं है जिसके कारण कपड़े या धागे का इस्तेमाल कर भी इसे तैयार किया जा सकता है.
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FIRST PUBLISHED : December 01, 2022, 12:20 IST