UP: मथुरा में नगर निगम खुद भूला अपनी जिम्मेदारी, डस्टबिन से जुड़ा है घोटाले का राज!


रिपोर्ट- चंदन सैनी

मथुरा: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा स्वच्छ भारत मिशन के तहत देश को स्वच्छ साफ देखने की परिकल्पना की गई है. कान्हा की नगरी मथुरा में स्वच्छ भारत मिशन की सोच को साथ लेकर चलते नगर निगम के द्वारा शहर में जगह-जगह भूमिगत कचरा पात्र लगवाए गए, ताकि लोग अपने घरों के कूड़े को इन कचरा पात्रों में डालकर स्वच्छ भारत मिशन में अपना योगदान कर सकें.

दरअसल 2017 में शहर में नगर निगम की ओर से 10 ऐसे भूमिगत कचरा पात्र बनवाए गए थे. जिनकी कुल कीमत करीब 50 लाख रुपये आई थी. लेकिन शहर में जगह-जगह लाखों रुपए की लागत से लगवाए गए भूमिगत कचरा पात्र इन दिनों खुद ही कचरे के ढेर में तब्दील हैं. यही कारण है कि अब कॉलोनी के लोग इभी इस कचरा पात्र में घर का कूड़ा नहीं डालते हैं.

कूड़ा बन गई लाखों की डस्टबिन
NEWS 18 LOCAL से बात करते हुए स्थानीय निवासी राकेश पंडित ने बताया कि, बिरला मंदिर के समीप बने इस कचरा पात्र में तब से लेकर आज तक किसी भी व्यक्ति ने अपने घर का कूड़ा नहीं डाला है. यहां नगर निगम के द्वारा कचरा पात्र बनवाने का कोई औचित्य नहीं था फिर भी नगर निगम के द्वारा यहां भूमिगत कचरा पात्र को लगवा दिया गया. लाखों रुपए खर्च किए गए इन कचरा पात्रों को लगवाने के लिए लेकिन नतीजा सिर्फ वही ढाक के तीन पात हैं. नगर निगम का कोई भी अधिकारी ना तो यह देखने आता है की भूमिगत कचरा पात्र भरे हैं या नहीं. इनके रखरखाव के लिए भी कोई व्यक्ति नियुक्त नहीं किया गया.

कचरा पात्र में घोटाले की दुर्गंध
मथुरा के महापौर मुकेश आर्य बंधु का कहना है कि इसे गंदगी को ढकने के लिए यह लगाए गए थे. लोग उसका उपयोग नहीं करते हैं. इस वजह से वह बेकार पड़े हुए हैं. वहीं जब उनसे भूमिगत कचरा पात्रों की लागत के बारे में सवाल किया तो उन्होंने बताया कि एक भूमिगत कचरा पात्र की लागत करीब 1 लाख रुपये आई थी. मेयर साहब 1 लाख रुपये भूमिगत कचरा पत्रों की मत बता रहे हैं. जबकि इन कचरा पात्रों की कीमत मार्केट के हिसाब से देखा जाए तो एक कचरा पात्र की कीमत 5 लाख रुपये बताई गई है.

कचरा पात्रों की अलग-अलग कीमत से यही अंदाजा लगाया जा रहा है कि इनमें लाखों रुपए का घोटाला हुआ है.

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