103 वर्ष पुरानी यह उर्दू रामायण सिर्फ उन्हीं छात्रों को दी जाती है, जो इसके बारे में जानना चाहते हैं. इतना ही नहीं रामायण का अध्ययन करते समय लाइब्रेरी प्रशासन का कोई ना कोई पदाधिकारी साथ में रहता है, क्योंकि यह विश्विद्यालय की एक अनमोल अमानत है. दरअसल जिस पब्लिकेशन हाउस में यह उर्दू रामायण पब्लिश हुई थी, उसका यह अशं सिर्फ चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के पास है. हालांकि अन्य विश्वविद्यालयों में उर्दू में रामायण तो है, लेकिन इस पब्लिकेशन का अंश नहीं है.