Supertech Twin Towers: ट्विन टावर 28 अगस्त को ब्लास्ट के लिए तैयार, लेकिन पर्यावरणविदों को इस बात की है टेंशन


नोएडा. उत्तर प्रदेश के नोएडा के सेक्टर 93A में स्थित सुपरटेक के अवैध ट्विन टावर (Supertech Twin Tower) को 28 अगस्त को गिराने (Demolition) की सारी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. सुपरटेक के इन दोनों टावरों को सुरक्षित तौर पर गिराने की जिम्मेदारी विदेशी कंपनी एडिफिस इंजीनियरिंग को दी गई है. एडिफिस ने ही साल 2020 में केरल के कोच्चि में अदालत के आदेश पर पर्यावरण के नियमों की अवहेलना करके बनाई गई चार बहुमंजिला इमारत को गिराया था. दिल्ली-एनसीआर में यह पहली बार होगा जब किसी गैरकानूनी बहुमंजिला इमारत को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद गिराया जाएगा. 28 अगस्त को सुपरटेक के ट्विन टावरों के ध्वस्त होते ही आसमान में धूल का गुबार उठेगा. इससे वायु प्रदूषण पांच गुना तक बढ़ सकता है.

इससे निकलने वाले धूल के कारण अगले कुछ दिनों तक दिल्ली-एनसीआर में लोगों को स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा. साथ ही पर्यावरण पर भी अगले कुछ महीनों तक इसका गहरा प्रभाव पड़ेगा. टावर ध्वस्तीकरण के बाद आसपास के घर, पेड़, दीवार, पार्क सहित खाली जगहों महीनों तक धूल जमी रहेगी. हल्की हवा चलने पर भी लोगों के घरों में धूल घुसने का डर सताते रहेगा.

सूत्रों की मानें तो एक घंटे के लिए नोएडा के आसमान में न तो हवाई-जहाज उड़ेंगे और न ही एक खास इलाके में बिजली सप्लाई होगी.

पर्यावरणविदों की क्या आशंका है
देश के जाने-माने पर्यावरणविद गोपाल कृ्ष्ण न्यूज- 18 हिंदी के साथ बातचीत में कहते हैं, ‘बिल्डिंग को बनाने या गिराने के दौरान दो तरह के धूल निकलते हैं. पहला, जिसे आप आंखों से देख सकते हैं. दूसरा, धूल के कुछ ऐसे छोटे-छोटे कण भी निकलते हैं, जिसे आप अपनी आखों से देखे नहीं सकते हैं, लेकिन वह आपको नुकसान पहुंचाते हैं. इसको डब्यल्यूएचओ ने नैनो पार्टिकल्स के रूप में चिन्हित किया है. ये नैनो पार्टिकल्स आपको बहुत नुकसान पहुंचाते हैं. नैनो पार्टिकल्स को लेकर अपने देश में कोई कानून नहीं है. इस नैनो कण से सिलिकोसिस नाम की एक खतरनाक बीमारी होती है, जो आपको धीरे-धीरे बीमार बना देता है. सिलोकोसिस फेफड़ों से संबंधित एक रोग है, जो आमतौर पर फैक्ट्रियों में काम करने वाले मजदूरों को होता है. जहां पर धूल उड़ते हैं वहां पर सिलिका पाया जाता है.’

सिलिकोसिस नाम की बीमारी कब होती है?
गोपाल कृष्ण आगे कहते हैं, ‘सिलिका क्रिस्टल की आकृति के सूक्ष्म कण होते हैं, जो पत्थर और खनिजों के कणों में पाये जाते हैं. अगर कोई व्यक्ति लंबे समय से सिलिका युक्त वातावरण में सांस ले रहा है तो सिलिका उसके फेफड़ों में जमा होने लगता है और उसको सांस संबंधि बीमारी जकड़ लेता है. हालांकि, पांच से दस साल तक सिलिका के संपर्क में आने से यह बीमारी होती है. इसलिए इस बिल्डिंग को गिराते वक्त ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए कि ये सूक्ष्म कण लंबे समय तक लोगों को परेशान न करें. इसके साथ ही अगर बिल्डिंग को गिराने में सतर्कता नहीं बरती जाए तो कैंसर जैसी बीमारी की भी होने की संभावना बढ़ जाती है. साथ ही आसपास के हरियाली युक्त वातावरण में बनने में लंबा वक्त लग जाता है.’

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सुपर टेक ट्विन टावर विस्फोट के बाद केवल 9 सैकेंड में जमींदोज हो जाएंगे. (फाइल फोटो)

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आपको बता दें कि साल 2020 में केरल में भी चार टावरों को गिराने के बाद आसपास रहने वाले लोगों को कई महीनों तक स्वास्थ्य संबंधि परेशानियां हुई थीं. इसमें सिरदर्द, अस्थमा, अटैक, जुकाम, कफ और एलर्जी के कारण लोग कई सप्ताह तक परेशान रहे थे. साथ ही आसपास के पर्यावरण को भी काफी नुकसान पहुंचा था. पर्यावरण के जानकारों का कहना है कि ट्विन टावर का मलवा जहां फेका जाएगा उस जगह के आस-पास रहने वाले लोगों को भी कई तरह की समस्याएं आ सकती हैं.

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