भाजपा के वरिष्ठ नेता पदुम जायसवाल कहते हैं, उनका इस दुनिया से जाना पार्टी के लिए बहुत बड़ी क्षति है। कुशल राजनेता होने के साथ ही वह अच्छे अधिवक्ता भी थे। उनकी कार्यकुशलता को देखते हुए 14 जुलाई 2014 को ही मोदी सरकार ने उन्हें पश्चिम बंगाल का राज्यपाल नियुक्त किया था। वह पश्चिम बंगाल समेत पांच राज्यों के राज्यपाल का दायित्व संभाल चुके थे। बंगाल के साथ ही बिहार, मेघालय, मिजोरम व त्रिपुरा के राज्यपाल की अतिरिक्त जिम्मेदारी भी उन्होंने संभाली।
इसके बाद उन्होंने भाजपा के टिकट पर शहर दक्षिण विधानसभा से वर्ष 1989, 1991, 1993, 1996 तथा 2002 का चुनाव जीता। 2007 विधानसभा का चुनाव उन्हें वर्तमान कैबिनेट मंत्री नंदी गोपाल गुप्ता ने तब बसपा में रहते हुए हराया था। इसके बाद 2012 का भी चुनाव वे हार गए थे। 1977 में ही पहली बार वित्त तथा बिक्री कर मंत्री बने। इस पद पर वह अप्रैल 1979 तक रहे। मंत्री के रूप में बिक्री कर में अनेक सुधार किए तथा उसकी प्रक्रिया का सरलीकरण भी किया।
पूर्व राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी तीन बार विधानसभा अध्यक्ष रहे। उनका पहला कार्यकाल 30 जुलाई 1991 से 15 दिसंबर 1993 तक रहा। उसके बाद वह 27 मार्च 1997 से मार्च 2002 तक तथा मार्च 2002 से 19 मई 2004 तक उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष रहे। भाजपा नेता शिवेंद्र मिश्र बताते हैं कि विधानसभा अध्यक्ष के रूप में उन्होंने कुशलतापूर्वक विधानसभा का संचालन किया।
केशरीनाथ त्रिपाठी विधानसभा अध्यक्ष के रूप में कामनवेल्थ पार्लियामेंट्री एसोसिएशन की उत्तर प्रदेश शाखा के अध्यक्ष भी रहे। उन्होंने अनेक राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में शिरकत की। वर्ष 2004 में उन्होंने मछलीशहर से लोकसभा का चुनाव लड़ा, लेकिन वह चुनाव जीत नहीं सके। इस तरह से केशरीनाथ अपने राजनीतिक जीवन में सांसद कभी नहीं बन सके।
अधिवक्ता के लिए 1956 में कराया था पंजीकरण
केशरीनाथ त्रिपाठी ने अधिवक्ता के रूप में 1956 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय में पंजीकरण कराया। इस दौरान उन्होंने एक वर्ष का प्रशिक्षण एडवोकेट बाबू जगदीश स्वरूप से लिया। वर्ष 1965 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के पुस्तकालय सचिव तथा 1987-88 एवं 1988-89 में इसके अध्यक्ष निर्वाचित हुए। चुनाव के मामलों में उन्हें विशेषज्ञ माना जाता है। इस विषय पर उन्होंने पुस्तक भी लिखी। वर्ष 1992-93 में विधायिका, न्यायपालिका सौहार्दपूर्ण संबंध रखने वाली समिति का सदस्य नामित किया गया।
बाल्यकाल में ही बने थे स्वयंसेवक, 1953 में गए थे जेल
केशरीनाथ त्रिपाठी महज 12 वर्ष की उम्र में वर्ष 1946 में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े। 1952 में जनसंघ की स्थापना हुई तो वह उससे जुड़ गए। तब उनकी उम्र 18 वर्ष ही थी। 1953 में जनसंघ द्वारा चलाए गए कश्मीर आंदोलन में वह खासे सक्रिय रहे। इस वजह से उन्हें तब जेल भी जाना पड़ा। 1975 में लगी इमरजेंसी के दौरान भी उन्होंने जेल में बंद तमाम लोगों के लिए नि:शुल्क केस लड़े। तमाम बंदियों के परिजनों के लिए उन्होंने भोजन आदि का प्रबंध किया।