Sawan Ka Somwar: दिन में तीन बार रंग बदलता है हरदोई का यह शिवलिंग, भक्तों की लगती है भीड़


हाइलाइट्स

सावन के महीने में हजारों की संख्या में भक्तों का लगता है तांता
सुबह के समय इस शिवलिंग का रंग भूरा होता है

हरदोई. यूपी के हरदोई जिले में जिला मुख्यालय से 18 किलोमीटर दूर विकासखंड बावन के सकाहा गांव में ये पौराणिक शिवमंदिर स्थित है. इस प्राचीन मंदिर से कई रोचक मान्यताएं और तथ्य जुड़े हुए हैं. इस प्राचीन और चमत्कारी शिवलिंग की महत्ता को जानकर दूर-दूर से आज भी लोग यहां आते हैं और भगवान शिव की आराधना करते हैं. मान्यता है कि यहां आने वाले लोगों के ऊपर कोई भी संकट क्यों न हो, उसे भगवान शिव अवश्य ही हर लेते हैं. साथ ही यहां मौजूद भगवान शिव के सिद्ध शिवलिंग के सामने सच्चे मन से अपनी मुराद मांगने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं भी पूर्ण हो जाती हैं.

1951 में बेहटागोकुल थाने में तत्कालीन थानाध्यक्ष शिव शंकर लाल वर्मा ने इस चमत्कारी शिवलिंग को बेहटागोकुल थाना परिसर में स्थापित करवाने के लिए यहां खुदाई करवाई थी. कई दिन तक लगातार खुदाई करने के बाद भी शिवलिंग का कोई छोर नहीं मिला और नीचे से पानी आना शुरू हो गया, तब दरोगा ने खुदाई रुकवाकर पानी जाने के बाद खुदाई शुरू कराने का निर्णय लिया. कहते हैं कि भगवान भोलेनाथ ने दरोगा को सपने में दर्शन देकर उनके शिवलिंग को यथावत रहने दिए जाने का आदेश दिया. तभी उस दरोगा ने यहां बने छोटे से साधारण मंदिर को एक भव्य और विशाल मंदिर में परिवर्तित करवाया.

जुड़ी हैं तमाम किवदंतियां
इसी तरह एक और कहानी सेठ लाला लाहौरी मल से भी जुड़ी हुई है. किवदंती है कि सेठ लाला लाहौरी मल के बेटे को फांसी की सजा हो गई थी. तब घूमते टहलते इस शिवलिंग के महत्व और महिमा से अनजान सेठ लाहौरी मल ने दुखी मन से अपने बेटे की फांसी की सजा माफ किए जाने की मन्नत मांगी. तभी अगले दिन उसके बेटे को दी जाने वाली फांसी की सजा माफ हो गई और फिर तभी से सेठ ने इस मंदिर में निर्माण कार्य कराना शुरू किया था. इसी तरह के तमाम तथ्य इस शिवलिंग से जुड़े हुए हैं,जो इसकी महत्ता को प्रदर्शित करते हैं.

इस शिवलिंग के इतिहास से आज भी नहीं उठा है पर्दा
पौराणिक संकटहरण सकाहा शिव मंदिर में मौजूद इस विशाल शिवलिंग के इतिहास से आज भी लोग अनजान हैं. यहां तमाम खोजकर्ता आए और गए, लेकिन कोई भी इस शिवलिंग के इतिहास की जानकारी नहीं जुटा सका. यहां के लोगों का कहना है कि उनके दादा और परदादा के समय में भी ये शिवलिंग यहां यथावत मौजूद था. ये शिवलिंग एक स्वयं भू शिवलिंग है, जिसका प्राकट्य स्वयं ही हुआ था. लोगों का मानना है कि इसमें स्वयं भगवान शिव का वास है.

दिन में तीन बार बदलता है रंग
इस प्राचीन शिवलिंग से तमाम चौंकाने वाले रोचक तथ्य भी जुड़े हुए हैं. सुबह के समय इस शिवलिंग का रंग भूरा होता है, तो दोपहर और शाम के बीच इसका रंग काला हो जाता है. वहीं रात्रि में इसका रंग सुनहरा हो जाता है. इतना ही नहीं ये शिवलिंग पूर्व में छोटे आकार का था, जो आज बेहद विशाल हो गया है. कहते हैं कि समय दर समय इस शिवलिंग के आकार में वृद्धि हो रही है, यहां के पुजारी और कुछ अन्य लोगों ने इस मंदिर के इतिहास की जानकारी दी और इसकी महत्ता को बताया.

सावन में लगती है भक्तों की भीड़
यहां प्रत्येक सोमवार महाशिवरात्रि और सावन के महीने में हजारों की संख्या में भक्तों का तांता देखने को मिलता है. यहां तक भक्तों और श्रद्धालुओं की भीड़ को संभालने के लिए यहां भारी संख्या में पुलिसकर्मियों की तैनाती भी की जाती है. इस शिवलिंग को संकटहरण के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि यहां के भगवान शिव सभी के संकटों को हर लेते हैं और मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं.

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