रिपोर्ट-अभिषेक जायसवाल,वाराणसी
वाराणसी: सनातन धर्म में हर माह की चतुर्थी (Chaturthi) तिथि को विघ्नहर्ता गणेश के पूजन और व्रत का विधान है.प्रत्येक माह में दो चतुर्थी तिथि पड़ती हैं.लेकिन आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि बेहद खास होती है.इसे कृष्णपिंगल संकष्टी चतुर्थी कहते हैं.इस चतुर्थी तिथि पर भगवान गणेश के पूजन और व्रत से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.इसके साथ ही जीवन से सारे कष्ट और बाधाओं से भी भगवान गणेश छुटकारा दिलाते हैं.
इस साल 17 जून यानी शुक्रवार को इस व्रत को रखा जाएगा.संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi 2022) पर भगवान गणेश के पूजन और व्रत के साथ चन्द्रमा के पूजन और दर्शन का विधान भी है.काशी के जाने माने ज्योतिषी स्वामी कन्हैया महाराज ने बताया कि इस दिन गणेश पूजन के बाद चन्द्रमा दर्शन के बाद ही यह व्रत पूरा होता है.
ऐसे करनी चाहिए पूजा
इस दिन सुबह स्नान के बाद भगवान गणेश की पूजा अराधना करनी चाहिए और उन्हें सिंदूर,दूर्वा की माला,मोदक अर्पण कर घी के दीये जलाकर उनका ध्यान करना चाहिए.पूरे दिन व्रत के बाद शाम को चन्द्रमा की पूजा करनी चाहिए.इस दौरान चन्द्रमा को दूध,जल अर्पण कर धूप,अगरबत्ती से पूजा करने से भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं और भक्तों की मनचाही मुरादें पूरी करते हैं.
इन मंत्रों का करना चाहिए जाप
पूजा के दौरान भक्तों को भगवान गणेश के बीज मंत्र,’ओम गं गणपतये नमः’ और ‘ओम गं नमः’ के मंत्र का 108 बार जाप करना चाहिए.
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Tags: Varanasi news
FIRST PUBLISHED : June 16, 2022, 11:07 IST