रायबरेली के इस स्कूल में नींव खोद रहे थे मजदूर, अचानक जमीन में दबी मिली प्राचीन मूर्ति, जानिए मामला


रिपोर्ट: सौरभ वर्मा

रायबरेली: अभी तक आपने काशी ,मथुरा, व अयोध्या में मूर्तियों के निकलने के बारे में जरूर सुना होगा. लेकिन हमारे भारतवर्ष में ऐसे कई रहस्य अभी भी छुपे हैं जिन्हें सुनकर व जानकर आपको हैरानी जरूर होगी. क्योंकि हमारा देश कई वर्षों तक गुलामी की जंजीरों में बंधा रहा जिससे हमारे इतिहास व मंदिरों को उन लोगों ने क्षतिग्रस्त करने की बहुत कोशिश की फिर भी हमारी आस्था को डिगा न सके. ऐसी ही एक कहानी है रायबरेली जनपद के सरेनी थाना क्षेत्र अंतर्गत लोहार मऊ गांव की. जहां पर बताते हैं कि मुगलों के शासन काल में एक प्राचीन मंदिर को ढहा दिया गया था. उन्होंने उस मंदिर को तो जरूर ढहा दिया लेकिन उसके अवशेष आज भी जमीन में मौजूद हैं जो अब खुदाई के दौरान निकल रहे हैं.

दरअसल मामला ही कुछ ऐसा है जिसे सुनकर आप भी चौंक जाएंगे हुआ यूं कि प्राथमिक विद्यालय लोहार मऊ में स्कूल की बाउंड्री निर्माण के लिए नींव की खुदाई हो रही थी. तभी अचानक एक मजदूर के फावड़े से एक पत्थर टकराता है. तो वह मजदूर चौंक जाता है और अपने अन्य साथियों को बुलाकर उसे दिखाता है. जब सभी ने यह देखा तो हैरत में पड़ गए. क्योंकि वह तो एक मूर्ति थी यह देख कर लोग आश्चर्य में पड़ गए कि आखिर यह कहां से आई लोगों के मन में तरह-तरह की चर्चाएं होने लगी.

जमीन के अंदर से निकली मूर्ति अत्यंत प्राचीन लग रही है. जिन्हे ग्रामीणों ने साफ सुथरा कर पूजा अर्चना शुरू कर दी. साथ ही वहां के ग्राम प्रधान ने मूर्तियों के निकलने की सूचना जिला प्रशासन और पुरातत्व विभाग को दे दी है.

ग्रामीणों ने दी रहस्यमय जानकारी
लोहार मऊ गांव के निवासी राम मोहन पाण्डेय ने मूर्तियों के निकलने के बारे में न्यूज 18 लोकल की टीम को बताया कि हमारे पूर्वज बताया करते थे कि यहां पर एक गढ़ी (तालाब) था जिसके पास में ही एक मंदिर हुआ करता था. जिसका निर्माण भार राज में हुआ था. लेकिन जब भारत में मुगलों का शासन आया तब उन्होंने हिंदुओं को पूजा पाठ करने से रोकने के उद्देश्य से इस मंदिर को ढहा दिया था. उसी के ही अवशेष हैं जो अब मिल रहे हैं.

जिलाधिकारी ने जांच के लिए गठित की टीम
मूर्ति निकलने की सूचना मिलने पर जिलाधिकारी माला श्रीवास्तव ने उपजिलाधिकारी लालगंज मौके पर भेजा साथ ही उन्होंने प्रशिक्षु आईएएस अंकिता जैन को मूर्तियों को पुरातत्व विभाग को भेजकर जांच कराने की जिम्मेदारी दी है. जिससे कि इनके समय काल के बारे में जानकारी जुटाई जा सके.

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