पीडब्ल्यूडी विभाग :पहले से कार्ययोजना न बनने से बजट का नहीं हो पा रहा इस्तेमाल, सरेंडर करने पड़े 6772 करोड़ – Pwd Did Not Have The Work Plan, So It Could Not Use The Whole Budget.


लोकनिर्माण विभाग के मंत्री जितिन प्रसाद।
– फोटो : amar ujala

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पीडब्ल्यूडी में पहले से कार्ययोजना न बनने से पूरे बजट का इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है। वित्त वर्ष 2021-22 में भी 6772 करोड़ रुपये सरेंडर करने पड़े थे। हालांकि, अधिकारियों का कहना है कि कोविड की दूसरी लहर के कारण पिछले वित्त वर्ष में पूरे बजट का इस्तेमाल नहीं हो पाया। लेकिन, इस साल तो वैसी कोई लहर नहीं, फिर भी नए कार्यों के बजट का करीब 25 फीसदी हिस्सा ही अब तक इस्तेमाल हो पाया है। शासन ने हाल ही में पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों को एस्टीमेट समय से प्रस्तुत न करने पर कार्रवाई की चेतावनी दी है। कहा है कि एस्टीमेट में देरी होने से वित्तीय स्वीकृतियां जारी करना संभव नहीं हो पाता। अगर चालू वित्त वर्ष के अंत में बजट सरेंडर हुआ तो संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

वहीं, पीडब्ल्यूडी के एक अधिकारी ने नाम न प्रकाशित करने के आग्रह के साथ बताया कि जब तक कार्ययोजना समय रहते पास नहीं कराई जाएगी, तब तक इस स्थिति में सुधार नहीं आने वाला है। पीडब्ल्यूडी की ही प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) और राष्ट्रीय राजमार्ग (एनच) विंग में एक वर्ष पहले कार्ययोजना स्वीकृत करा ली जाती है। इससे जैसे ही नया वित्त वर्ष प्रारंभ होता है, उस कार्ययोजना के अनुसार बजट जारी कराने के प्रयास में अधिकारी जुट जाते हैं। ये दोनों योजनाएं केंद्र सरकार के सहयोग से चलती हैं। 

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इस तरह की व्यवस्था अभी तक पीडब्ल्यूडी के अपने मदों में आम तौर पर इस्तेमाल नहीं की जाती। यहां उसी वित्त वर्ष में प्रस्ताव फील्ड से मंगाए जाते हैं। उन्हें मुख्यालय से शासन को भेजकर उस कार्ययोजना को शासन से मंजूर कराया जाता है। इस वित्त वर्ष की भी कार्ययोजना कुछ समय पूर्व ही स्वीकृत हुई है। ऐसे में एस्टीमेट मंजूर होने और बजट जारी होने की प्रक्रिया में देरी होना स्वाभाविक है।

पिछले वित्त वर्ष में अगर अधिष्ठान मद को हटा दें तो पीडब्ल्यूडी के लिए 23562 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान किया गया था। वित्त वर्ष के अंत में इस बजट का करीब 29 फीसदी हिस्सा सरेंडर करना पड़ा था। सरेंडर किया गया बजट भवन, सेतु, सड़क और स्पेशल कम्पोनेंट प्लान मद का था। विभागीय सूत्रों का कहना है कि परियोजनाओं की मंजूरी की प्रक्रिया पूरी न हो पाने के कारण यह स्थिति पैदा हुई।

सिर्फ 24 फीसदी ही बजट हुआ है जारी
चालू वित्त वर्ष में भी पीडब्ल्यूडी में नव निर्माण रफ्तार नहीं पकड़ पा रहा है। चालू वित्त वर्ष की समाप्ति में सिर्फ तीन माह बचे हैं और इस मद में प्रावधानित बजट का अभी तक 24 फीसदी हिस्सा ही जारी हो सका है। वहीं चालू कार्यों के लिए भी करीब 52 फीसदी बजट जारी हो पाया है। ऐसे में इस साल भी बजट के सरेंडर होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। जबकि, पीडब्ल्यूडी को लगातार उच्चस्तर से समय से बजट जारी करने के निर्देश जारी किए जा रहे हैं।

विस्तार

पीडब्ल्यूडी में पहले से कार्ययोजना न बनने से पूरे बजट का इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है। वित्त वर्ष 2021-22 में भी 6772 करोड़ रुपये सरेंडर करने पड़े थे। हालांकि, अधिकारियों का कहना है कि कोविड की दूसरी लहर के कारण पिछले वित्त वर्ष में पूरे बजट का इस्तेमाल नहीं हो पाया। लेकिन, इस साल तो वैसी कोई लहर नहीं, फिर भी नए कार्यों के बजट का करीब 25 फीसदी हिस्सा ही अब तक इस्तेमाल हो पाया है। शासन ने हाल ही में पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों को एस्टीमेट समय से प्रस्तुत न करने पर कार्रवाई की चेतावनी दी है। कहा है कि एस्टीमेट में देरी होने से वित्तीय स्वीकृतियां जारी करना संभव नहीं हो पाता। अगर चालू वित्त वर्ष के अंत में बजट सरेंडर हुआ तो संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

वहीं, पीडब्ल्यूडी के एक अधिकारी ने नाम न प्रकाशित करने के आग्रह के साथ बताया कि जब तक कार्ययोजना समय रहते पास नहीं कराई जाएगी, तब तक इस स्थिति में सुधार नहीं आने वाला है। पीडब्ल्यूडी की ही प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) और राष्ट्रीय राजमार्ग (एनच) विंग में एक वर्ष पहले कार्ययोजना स्वीकृत करा ली जाती है। इससे जैसे ही नया वित्त वर्ष प्रारंभ होता है, उस कार्ययोजना के अनुसार बजट जारी कराने के प्रयास में अधिकारी जुट जाते हैं। ये दोनों योजनाएं केंद्र सरकार के सहयोग से चलती हैं। 

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इस तरह की व्यवस्था अभी तक पीडब्ल्यूडी के अपने मदों में आम तौर पर इस्तेमाल नहीं की जाती। यहां उसी वित्त वर्ष में प्रस्ताव फील्ड से मंगाए जाते हैं। उन्हें मुख्यालय से शासन को भेजकर उस कार्ययोजना को शासन से मंजूर कराया जाता है। इस वित्त वर्ष की भी कार्ययोजना कुछ समय पूर्व ही स्वीकृत हुई है। ऐसे में एस्टीमेट मंजूर होने और बजट जारी होने की प्रक्रिया में देरी होना स्वाभाविक है।

पिछले वित्त वर्ष में अगर अधिष्ठान मद को हटा दें तो पीडब्ल्यूडी के लिए 23562 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान किया गया था। वित्त वर्ष के अंत में इस बजट का करीब 29 फीसदी हिस्सा सरेंडर करना पड़ा था। सरेंडर किया गया बजट भवन, सेतु, सड़क और स्पेशल कम्पोनेंट प्लान मद का था। विभागीय सूत्रों का कहना है कि परियोजनाओं की मंजूरी की प्रक्रिया पूरी न हो पाने के कारण यह स्थिति पैदा हुई।

सिर्फ 24 फीसदी ही बजट हुआ है जारी

चालू वित्त वर्ष में भी पीडब्ल्यूडी में नव निर्माण रफ्तार नहीं पकड़ पा रहा है। चालू वित्त वर्ष की समाप्ति में सिर्फ तीन माह बचे हैं और इस मद में प्रावधानित बजट का अभी तक 24 फीसदी हिस्सा ही जारी हो सका है। वहीं चालू कार्यों के लिए भी करीब 52 फीसदी बजट जारी हो पाया है। ऐसे में इस साल भी बजट के सरेंडर होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। जबकि, पीडब्ल्यूडी को लगातार उच्चस्तर से समय से बजट जारी करने के निर्देश जारी किए जा रहे हैं।



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