ओपी राजभर ने स्वामी प्रसाद मौर्य पर किया पलटवार, कहा- हमने जिताई सीटें, मौर्य ने कराया सूपड़ा साफ


हाइलाइट्स

ओपी राजभर में स्वामी प्रसाद मौर्य पर पलटवार करते हुए कहा मौर्य सूफड़ा साफ करा दिया.
माैर्य जहां से चुनाव लड़े वह जिला ही साफ हो गया. हम गाजीपुर से चुनाव लड़े तो पूरे जिले की सभी सीटें जीत ली.
राजभर ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि आप दोनों में तय कर लें कि परिपक्व कौन है और अपरिपक्व कौन.

बस्ती. सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) अध्‍यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने समाजवादी समाजवादी पार्टी (सपा) नेता और उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य पर पलटवार करते हुए बुधवार को कहा कि सपा-गठबंधन में शामिल होकर सुभासपा जिस क्षेत्र से चुनाव लड़ी, वहां गठबंधन को जीत मिली, जबकि मौर्य तो गठजोड़ को पूरा जिला ही हरा बैठे.

राजभर ने बस्ती और देवीपाटन के मण्डल कार्यकर्ताओं के सम्मेलन में शिरकत से इतर संवाददाताओं से बातचीत में स्वामी प्रसाद मौर्य पर पलटवार करते हुए कहा, ”मौर्य हमें अपरिपक्‍व बता रहे हैं, मगर वो जहां से चुनाव लड़े वह जिला ही साफ हो गया. हम गाजीपुर से चुनाव लड़े तो पूरे जिले की सभी सीटें जीत ली. अब आप दोनों में तय कर लें कि परिपक्व कौन है और अपरिपक्व कौन.”

विधानसभा चुनाव में पूर्वांचल के चार जिलों में उसका खाता तक नहीं खुल सका: राजभर
राजभर ने कहा, ”जब मैं भाजपा के साथ था तो पूर्वांचल में वह बडे़ पैमाने पर चुनाव जीती. हमने उसका साथ छोड़ दिया तो विधानसभा चुनाव में पूर्वांचल के चार जिलों में उसका खाता तक नहीं खुल सका. इस तरह से हमने परिणाम दिया है. स्वामी प्रसाद मौर्य को एहसास होना चाहिए कि जब तक मैं सपा में नहीं गया था तब तक वो भी भाजपा छोड़ कर सपा में नहीं आए थे.’’

मौर्य ने राजभर की अगुवाई वाली सुभासपा को ‘विचार शून्य पार्टी’ कहा था…
गौरतलब है कि इस साल के शुरू में हुए उत्‍तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से ऐन पहले भाजपा छोड़कर सपा में शामिल हुए पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने राजभर की अगुवाई वाली सुभासपा को ‘विचार शून्य पार्टी’ करार देते हुए मंगलवार को कहा था कि सुभासपा मुखिया ओमप्रकाश राजभर ‘हवा-हवाई’ राजनीति करके खुद ही हंसी का पात्र बन रहे हैं.

उन्होंने कहा था ‘राजभर की कोई विचारधारा नहीं है और उनकी पार्टी विचार शून्य है. राजभर पिछले 20 वर्षों से राजनीति कर रहे थे लेकिन अपने दम पर एक भी विधायक नहीं जिता सके. उनकी पार्टी भाजपा के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ी और चार सीटें जीती जबकि सपा के साथ गठजोड़ कर उसके छह विधायक चुनाव जीत गए.

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