Muradabad: इस मंदिर में घंटा चढ़ाने से मिलेगी संतान, भक्तों की हर मन्नत होती है पूरी


पीयूष शर्मा

मुरादाबाद. उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जनपद के नागफनी थाना क्षेत्र के किसरौल मोहल्ले में स्थित श्री कामेश्वरनाथ बाबा 84 घंटा मंदिर का इतिहास हजारों साल पुराना है. इस पर खोज करने के लिए लखनऊ से आई पुरातत्व विभाग की टीम ने मंदिर में खड़े पीपल के वृक्ष की छाल अपने साथ ले गई है. 84 घंटा मंदिर अन्य मंदिरों से काफी अलग है. मनोकामना पूर्ण होने पर अन्य मंदिरों में जहां लोग नारियल, चुनरी, प्रसाद, मीठा आदि चढ़ाते हैं तो वहीं, श्रद्धालु इस मंदिर में पीतल का घंटा चढ़ाते हैं.

मंदिर के पुजारी विष्णु दत्त शर्मा ने न्यूज़ 18 लोकल से बातचीत में बताया कि नेपाल नरेश को कोई संतान नहीं थी. तब उन्होंने इस मंदिर में आकर मन्नत मांगी थी. संतान होने पर उन्होंने वर्ष 1911 में इस मंदिर में पीतल का घंटा चढ़ाया था. नेपाल नरेश के द्वारा चढ़ाया गया घंटा आज भी मंदिर में मौजूद है.

सावन के महीने में श्रद्धालु यहां 40 दिन तक रोजाना दीपक जलाने आते हैं, और 41वें दिन उद्यापन करते हैं. साथ ही श्रावण मास की शिवरात्रि पर हवन होता है. मुरादाबाद सहित दूर-दराज के श्रद्धालु यहां आकर जलाभिषेक करते हैं. जिनकी संतान नहीं होती है वो यहां मन्नत मांगने आते हैं और घंटा बोल कर जाते हैं. मन्नत पूरी होने पर यहां वो घंटा चढ़ा कर जाते हैं. पुजारी ने बताया कि श्री कामेश्वरनाथ बाबा 84 घंटा मंदिर पांच हजार साल पुराना है.

मंदिर आने वालों की मन्नत होती है पूरी

किसरौल निवासी 61 वर्षीय गणेश चंद्र ने बताया कि हमारे पूर्वज बताते हैं, और हमारा भी यह मानना है कि 84 घंटा मंदिर में संतान ही नहीं, कुछ भी मन्नत मांगो तो वो पूरी होती है. हमारे पूर्वजों ने जो भी मन्नत मांगी थी, वो पूरी हुई है. हम यहां के मूल निवासी हैं. बड़ी संख्या में यहां लोग आते हैं और मन्नत मांगते हैं. हमने भी आज तक यहां जो भी मन्नत मांगी है वो सभी पूरी हुई हैं.

सभी देवता की हैं मूर्ति

इस मंदिर में राधा कृष्ण, राम दरबार, भगवान विष्णु, मां दुर्गा संतोषी माता, भैरों बाबा, हनुमान जी, ब्रह्म देव की मूर्तिया भी हैं. चैत्र और शारदीय नवरात्र में यहां बड़ी संख्या में माता रानी के भक्त पहुंचते हैं और पूजा अर्चना करते हैं.

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