मऊ में गाजे-बाजे के साथ स्थापित हुआ 21 KG चांदी का शिवलिंग, पढ़िए क्या खास है कहानी


हाइलाइट्स

16 जुलाई को मछुआरों को 21 किलोग्राम वजनी चांदी का शिवलिंग मिला था.
रजत शिवलिंग को श्री रजतेश्वर महादेव का नाम दिया गया है.

अभिषेक राय

मऊ. उत्तर प्रदेश के मऊ जनपद में बीते दिनों घाघरा नदी में मिले शिवलिंग को रविवार को हरियाली तीज के मौके पर विधि-विधान के साथ स्थापित किया गया. 21 किलो के इस चांदी के शिवलिंग को कोतवाल मनोज सिंह ने पहले अपने सिर पर रखकर घुमाया और फिर स्थापित किया गया. इस दौरान पूरे इलाके में उत्साह का माहौल बन गया. गाजे-बाजे के साथ जब शिवजी की सवारी निकली तो हर कोई ‘भोले बाबा की जय’ करने लगा.

दरअसल, सरयू नदी में 16 जुलाई को मछुआरों को 21 किलोग्राम वजनी चांदी का शिवलिंग मिला था. इसे पुलिस ने अपने कब्जे में रखा था. वाराणसी के पुरातत्व विभाग द्वारा जांच पड़ताल के बाद इस शिवलिंग को स्थापित करने का फैसला लिया गया. रविवार को इस शिवलिंग को पूजा-अर्चना और उत्साह भरे माहौल के बीच स्थापित किया गया. रजत शिवलिंग को श्री रजतेश्वर महादेव का नाम दिया गया है. इस शिवलिंग की बाबा मेलाराम लक्ष्मण घाट मंदिर में स्थापना की गई. इस दौरान दोहरीघाट थाने से लेकर घाट तक शिवभक्तों का हुजूम उमड़ पड़ा. चारों तरफ ‘हर-हर महादेव’ के गनगनभेदी नारे गूंजते रहे.

थाने से गाजे-बाजे के साथ मंदिर पहुंचे अराध्य
यह शिवलिंग काफी दिनों से मालखाने में रखा हुआ था. थानाध्यक्ष मनोज कुमार सिंह ने शिवलिंग की पूजा करने वाली महिला सिपाही सचि सिंह और प्राची पांडेय को बुलाकर मालखाना खुलवाया. दोनों महिला सिपाहियों ने सजल नेत्रों से शिवलिंग को थानाध्यक्ष को सुपुर्द किया. इसके बाद थानाध्यक्ष शिवलिंग को सिर पर रखकर बैठक कक्ष में ले गए. वहां वैदिक मंत्रोच्चार के बीच शिवलिंग का रुद्राभिषेक हुआ. विधिवत पूजन-अर्चन करने के बाद थानाध्यक्ष ने फिर से सिर पर शिवलिंग रखकर रथ तक पहुंचाया. महंत बाबा मेला राम ने थानाध्यक्ष से शिवलिंग लेकर रथ पर विराजमान किया.

मंदिर पहुंचते ही खुश हुए इंद्र देवता
इस दौरान काफी संख्या में श्रद्धालु अराध्य की यात्रा में शामिल हुए. महिलाओं ने मंगल गीत गाए और गाजे-बाजे के साथ रथ नगर भ्रमण के लिए निकला. जगह-जगह फूलों की वर्षा होने लगी. चारों तरफ भक्तिमय वातावरण हो गया. जब शिवजी का रथ मंदिर परिसर पहुंचा तो उसी दौरान बारिश होने लगी, इससे लोगों के बीच आस्था गहरा गई और लोग हर-हर महादेव की नारे लगाने लगे.

स्थापना के बाद से ही काफी संख्या में लोग शिवजी के दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं.

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