मिशन 2024 से पहले यूपी में ‘यादव’ वोटों पर घमासान, चाचा शिवपाल के बाद जानिए भतीजे अखिलेश का प्लान!


हाइलाइट्स

लखनऊ से ‘यदुकुल पुनर्जागरण मिशन’ शुरू
सेना में अहीर रेजीमेंट के गठन की मांग
यूपी में 10 फीसदी यादव मतदाता सियासी तौर पर काफी महत्वपूर्ण है

लखनऊ. प्रगतिशील समाजवादी पार्टी-लोहिया (प्रसपा) के अध्यक्ष शिवपाल यादव (Shivpal Singh Yadav) ने सपा के कोर वोटबैंक ‘यादव’ में सेंधमारी कर ‘यदुकुल पुनर्जागरण मिशन’ की शुरुआत किया है. ऐसे में सूबे के यादव समुदाय के वोटों को लेकर सियासी घमासान चाचा-भतीजे के बीच मच गया है. शिवपाल भले ही इसे सामाजिक लड़ाई के लिए बनाए संगठन का नाम दे रहे हैं, लेकिन उनके ही बयानों से साफ जाहिर होता है कि इस आयोजन के राजनीतिक निहितार्थ हैं. यादव समुदाय की गोलबंदी 2024 में होने वाले चुनाव के मद्देनजर है. यादव वोटों के सहारे शिवपाल दोबारा से अपनी सियासत को जिंदा करना चाहते हैं. शिवपाल को इस मिशन का संरक्षक और बाहुबली पूर्व सांसद डीपी यादव को इसका अध्यक्ष बनाया गया है.

शिवपाल यादव ने कहा कि सामाजिक न्याय की लड़ाई को पूरे दमखम के साथ लड़ना है. उन्होंने कहा कि गलतफहमी नहीं होनी चाहिए कि ‘यदुकुल पुनर्जागरण मिशन’ को सिर्फ यादवों के लिए बनाया गया है और न ही सिर्फ यूपी के लिए है. हमारे समाज के लोग दूसरे राज्यों में भी हैं उनके उत्पीड़न के खिलाफ लड़ेंगे. यह मिशन सभी यादव संगठन है.

पिछले सप्ताह डीपी यादव के पिता स्वतंत्रता सेनानी तेजपाल की प्रतिमा का अनावरण समारोह था, जिसमें शिवपाल यादव, सुखराम यादव सहित प्रदेश के कई दिग्गज यादव यादव नेता पहुंचे थे. इसी दौरान यदुकुल पुनर्जागरण मिशन की पृष्ठभूमि तैयार हुई, जिसे शिवपाल यादव ने अपने कंधे पर लेकर चलने का बीढ़ा उठाया है.

यादव वोटों पर विपक्ष के घेराव को देखते हुए सपा प्रमुख अखिलेश यादव भी सक्रिय हों गए हैं. बाहुबली नेता रमाकांत यादव से मिलने आजमगढ़ जेल पहुंचे थे तो नोएडा के गढ़ी चौखंडी गांव में स्थित स्वर्गीय रघुवर प्रधान की प्रतिमा का अनावरण किया.

इस तरह यादव समुदाय को नाराजगी का कोई मौका अखिलेश नहीं देना चाहते है. क्योंकि बीजेपी ही नहीं उनके चाचा शिवपाल यादव की भी नजर है. बता दें कि यूपी में 10 फीसदी यादव मतदाता सियासी तौर पर काफी महत्वपूर्ण है.

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