मंगला तिवारी/मिर्जापुर. मान्यता है कि त्रेतायुग में भगवान श्रीराम ने पत्थरों का पुल बनवाकर समुद्र पार किया था और लंका पहुंचे थे. पुल में इस्तेमाल प्रत्येक पत्थर पर राम का नाम लिखा था, जो समुद्र में तैरते रहे. कुछ इसी तरह का मामला मीरजापुर जिले के सीखड़ गांव में सामने आया है. जहां ग्रामीणों को गंगा नदी में तैरता हुआ पत्थर मिला है. हालांकि उसपर राम नाम नहीं लिखा है.स्थानीय निवासी उस समय आश्चर्यचकित हो गए. जब शुक्रवार की सुबह गंगा नदी में एक तैरता हुआ पत्थर देखने को मिला.
गांव के लोगों ने पहले उसे आर्टिफिशियल समझा. लेकिन जब पत्थर निकाल कर देखे तो यह वजनी निकाला. देखने में भी यह सामान्य पत्थर की तरह ही है, खोखला नहीं है. ग्रामीण पानी में तैरने वाले इस पत्थर को आस्था से जोड़कर देख रहे हैं और त्रेता युग का पत्थर मानकर इसकी पूजा पाठ शुरू कर दिया है. स्थानीय निवासी बचऊ शर्मा ने बताया कि वो सुबह गंगा किनारे पिंडदान में शामिल होने गए थे. तभी उन्हें गंगा नदी में एक तैरता हुआ पत्थर नजर आया. वहां मौजूद लोगों ने पत्थर को पानी में डाला तो वह तैरता ही रहा. लोगों ने इस अद्भुत पत्थर को पास के विष्णु भगवान के मंदिर में लाकर रख दिया. गांव के आसपास के लोगों में इसको लेकर कौतूहल बना हुआ है. जिस किसी को भी इसकी जानकारी मिली, वह इस पत्थर को देखने चला आया.
इन्होंने ये कहा
पास के ही गांव के निवासी विश्वजीत त्रिपाठी ने कहा कि उन्हें पत्थर तैरने को लेकर जब पता चला तो उसे देखने आए हैं, क्योंकि अभी तक रामचरित मानस में ही पढ़ा और रामायण सीरियल में देखा था कि त्रेता युग में भगवान श्रीराम द्वारा पत्थरों से सेतु निर्माण कराया गया था. लेकिन आज उन्होंने वास्तव में ऐसा पत्थर देखा, जो जल में उतराता हुआ दिखा. ये भगवान की कृपा से ही संभव है.
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FIRST PUBLISHED : October 16, 2022, 18:54 IST