मेरठ. उत्तर प्रदेश के मेरठ (Meerut) जिले में एक शावक बीते कई दिनों से अपनी मां से बिछड़ा हुआ था. तमाम प्रयास के बाद भी लेपर्ड का मिलन उसकी मां से नहीं हो सका. लिहाजा अब वन विभाग की टीम ने उसे गोरखपुर चिड़ियाघर रवाना कर दिया है. तेंदुए के इस बच्चे को वन विभाग की टीम ने किसी मां की ही तरह देखभाल कर और अब उसे गोरखपुर चिड़ियाघर भेज दिया है. इस नन्हें फरिश्ते का नामकरण भी वन विभाग की टीम ने किया है. नन्हें कब को सभी सिंबी नाम से पुकार रहे हैं. ज़िला वन अधिकारी राजेश कुमार का कहना है कि वाइल्डलाइफ एक्सपर्ट टीम की मौजूदगी में सिंबी को गोरखपुर चिड़ियाघर रवाना किया गया है. मेरठ से गोरखपुर के रास्ते में भी वन विभाग की टीम के सदस्य सिंबी को दूध पिलाते हुए नजर आए.
राजेश कुमार का कहना है कि कुछ लोगों के कौतूहल का नतीजा है कि इंसानी गंध बच्चे लेपर्ड में आ गई और मादा तेंदुआ उसे अब अपना नहीं सकी. वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट्स का कहना है कि मादा लेपर्ड बच्चे के करीब आई लेकिन क्योंकि शावक का संपर्क इंसान से हुआ जिससे उसमे ह्यूमन गंध आ गई. और इस इंसानी गंध की वजह से मां लेपर्ड अपने बच्चे से ही दूर हो गई. हालांकि मादा तेंदुआ और शावक को मिलाने में वन विभाग को कोर कसर नहीं छोड़ी.
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रात-रात भर टीम ने जागकर शिफ्ट में काम कर मादा लेपर्ड और मां को मिलाने का प्रयास किया, लेकिन फिलहाल ये सफल नहीं हो सका. गौरतलब है कि बीते दिनों नन्हां तेंदुआ जंगल में अपनी मां से बिछड़ गया था. ग्रामीणों ने जब इसकी सूचना दी तो मेरठ फॉरेस्ट डिपार्टमेंट की टीम ने शावक का रेस्क्यू किया था. एक मां की तरह ही वन विभाग के सदस्य लेपर्ड के बच्चे को पाल रहे थे. मेरठ में ग्राम भगवानपुर के जंगल में तेन्दुए का शावक मिला था.
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