रिपोर्ट – विशाल भटनागर
मेरठ. ‘गुरुजी अगर जेल से बाहर निकलने के बाद हम लोग सुधरने की कोशिश भी करें तो यह पब्लिक सुधरने क्यों नहीं देती? धर्म और अधर्म की पहचान कैसे की जाए गुरुजी? जब निर्दोष लोगों को भी फंसाकर जेल भेज दिया जाता है, तो क्या भगवान उन लोगों को भी सज़ा देता है?’ इस्कॉन और जेल प्रशासन द्वारा चौधरी चरण सिंह ज़िला कारागार में एक कार्यक्रम में कुछ इसी तरह के सवाल कैदियों ने किए, जिनके जवाब इस्कॉन के अंतर्राष्ट्रीय गुरु अक्रूर प्रभु दास ने दिए. दास ने कहा ‘भगवान सभी के कर्मों का लेखा जोखा रखते है इसलिए श्रीमद्भगवद्गीता का अनुसरण करते रहें. सभी को भी न्याय मिलेगा.’
हरे कृष्णा, कृष्णा-कृष्णा हरे-हरे का उद्घोष इस्कॉन के आयोजकों द्वारा किया गया. पूरे जेल परिसर में बंदी भी इसी धुन पर झूमते नज़र आए. जेल में सबसे अनोखा नज़ारा तब देखने को मिला. जब गीता कैदिसों के बीच बांटी गई. हिंदू समाज के साथ-साथ मुस्लिम बंदियों में भी गीता पढ़ने की रुचि दिखाई दी. उन्होंने भी अपनी इच्छा से गीता लेने में दिलचस्पी दिखाई. इस दौरान बंदियों ने कहा कि वे धार्मिक ग्रंथ का अध्ययन कर गलती सुधारने की कोशिश करेंगे.
‘धार्मिक कार्यक्रमों से आता है बदलाव’
जेल अधीक्षक राकेश कुमार ने News 18 local से बातचीत करते हुए कहा कि बंदियों में सकारात्मक बदलाव दिख रहे हैं. उसी के लिए जेल में इस तरह के आयोजन उत्तर प्रदेश शासन के निर्देश अनुसार जेल के नियमों के अनुसार कराए जाते हैं. कुमार ने कहा ‘बंदी नकारात्मकता के कारण जेल आए हैं. ऐसे में जब भी वे नियमों के अंतर्गत यहां से बाहर जाएं तो समाज में सभ्यता के साथ अपना कार्य कर सकें. इसी मकसद से जहां धार्मिक आयोजन कराए जाते हैं, वहीं जेल में विभिन्न रोज़गार और शिक्षा संबंधी कोर्स भी कराए जा रहे हैं. कैदियों के जीवन में बदलाव लाया जा सके, कोशिश यही है.’
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Tags: Bhagwat Geeta, Meerut news
FIRST PUBLISHED : November 10, 2022, 16:35 IST