Meerut: गैंगस्‍टर बदन सिंह बद्दो से लेकर याकूब कुरैशी तक, जानें कैसे माफिया बने अरबों की संपत्ति के मालिक


मेरठ. उत्तर प्रदेश में योगी सरकार 2.0 आने के बाद अब चहुंओर माफियाओं और उनके गुर्गों की संपत्ति पर बुलडोजर गरज रहा है. यही नहीं, जिनकी कभी तूती बोला करती थी वो तख्ती लिए हुए सरेंडर कर रहे हैं. ऐसे में आज हम आपको मेरठ के ऐसे कई माफियाओं की कहानी बताएंगे, जो कभी एक स्कूटर नहीं ले सकते थे, लेकिन काला धंधा करते करते वो अरबपति बन गए. हैरानी की बात है कि कोई ट्रक ड्राइवर अरबों की संपत्ति का मालिक बन गया, तो कोई मामूली व्यापारी करोड़पति बन गया. लेकिन कहते हैं न कि गुनाह कभी छिपता नहीं और गुनहगार कभी बचता नहीं. इन गुनहगारों पर अब ऐसा एक्शन हो रहा है कि या तो वो भागे भागे फिर रहे हैं या फिर जेल की कालकोठरी पहुंच चुके हैं.

सबसे पहले बात कर लेते हैं यूपी के पूर्व मंत्री हाजी याकूब कुरैशी की. बसपा सरकार में मंत्री रहे याकूब कुरैशी के घर पर कुर्की वारंट चस्पा कर दिया गया है और गिरफ्तारी के लिए दबिश जारी है. जल्द ही याकूब और उनके परिवार पर इनाम घोषित करने की तैयारी की जा रही है. बीती 31 मार्च को पुलिस और प्रशासन की टीम ने खरखौदा थाने के हापुड़ रोड पर स्थित अह फहीम मीटेक्स प्रा. लि. में छापा मारकर करीब पांच करोड़ कीमत का मीट बरामद किया था. याकूब उनकी पत्नी शमजिदा, बेटे फिरोज और इमरान कुरैशी समेत कईयों पर मुकदमा किया गया. दस कर्मचारियों को मौके से जेल भेज दिया गया था. विवेचना के दौरान मुकदमे में मैनेजर मोहित त्यागी, फैजाब और मुजीद का नाम बढ़ाया जा चुका है. तब से याकूब कुरैशी, उनकी पत्नी शमजिदा, बेटा इमरान और फिरोज समेत तीनों कर्मचारी घर छोड़कर फरार हो चुके हैं. पुलिस सभी आरोपितों के वारंट जारी करा चुकी है. पुलिस लगातार उनके ठिकानों पर दबिश दे रही है, तब भी आरोपितों का कोई पता नहीं चल पा रहा है. एएसपी चंद्रकांत मीणा और इंस्पेक्टर किठौर अरविंद कुमार फोर्स के साथ याकूब के आवास सराय वहीम पहुंचे.उन्होंने याकूब के घर पर मुनादी कराते हुए 82 सीआरपीसी (कुर्की की उदघोषणा) का नोटिस चस्पा कर दिया है.

हैरान कर देगी हाजी याकूब की कहानी
हाजी याकूब की ज़िन्दगी की कहानी जानकर कोई भी हैरत में पड़ जाएगा. सबसे पहले हाजी याकूब उस वक्त ज्यादा चर्चा में आए थे, जब उन्होंने डेनमार्क के कार्टूनिस्ट का सिर कलम करने वाले को 51 करोड़ का इनाम देने की घोषणा की थी.उसके बाद भी इस पूर्व मंत्री ने कई बार विवादित बयान देकर मीडिया की सुर्खियां बटोरी हैं. हाजी याकूब कुरैशी ने यूनाईटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) नाम से एक अलग पार्टी बनायी थी, लेकिन बाद में वह बीएसपी में शामिल हुए थे. वर्ष 2007 में वह बीएसपी के टिकट पर चुनाव लड़े थे. बीएसपी सरकार ने उन्हें राज्यमंत्री का दर्जा देकर मंत्री बनाया था. वर्ष 2012 के चुनाव में उनका टिकट कट गया था, जिसके बाद वह 2012 में ही आरएलडी में शामिल हो गए थे. कुछ दिन वह सपा में भी रहे, बाद में उनकी फिर से बीएसपी में वापसी हुई थी. याकूब परिवार का ये पहला चुनाव रहा जब उसने या फिर उसके परिवार के किसी सदस्य ने इस बार यूपी विधानसभा इलेक्शन नहीं लड़ा था.

जानें कौन है कुख्यात माफिया बदन सिंह बद्दो
सूबे के कुख्यात माफिया बदन सिंह बद्दो के करीबियों पर आजकल बुलडोजर गरजता दिख रहा है. बद्दो की हिस्ट्र्रीशीट दशकों से से चली आ रही है. मेरठ के टीपी नगर थाना क्षेत्र के पंजाबीपुरा का रहने वाला बद्दो लगभग 26 साल पहले एक मामूली सा ट्रक ड्राइवर था. फिर, मारपीट और जानलेवा हमले की छोटी-मोटी घटनाओं में उसका नाम मुख्यारोपियों में आने लगा. धीरे-धीरे उसके क्राइम की गति बढ़ने लगी और बदन सिंह पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुख्यात सुशील मूंछ के संपर्क में आया. यहां से वह लगातार अपराध जगत की सीढ़ियां चढ़ता गया. कुख्यात बदन सिंह के खिलाफ हत्या से लेकर जमीन कब्जा करने तक सैकड़ों मामले दर्ज हैं. केबल व्यवसायी पवित्र मैत्रेय की हत्या का भी वह मुख्यारोपी है. साल 2011 में सदर थाना क्षेत्र में हुई बसपा जिला पंचायत सदस्य संजय गुर्जर की हत्या में भी बद्दो वॉन्टेड है. इतना ही नहीं, एडवोकेट देवेंद्र गुर्जर हत्याकांड में बद्दो को आजीवन कारावास की सजा हो चुकी है.अब ढाई लाख के इनामी बदमाश बदन सिंह बद्दो पर शिकंजा कसा जा रहा है. मेरठ पुलिस और मेरठ विकास प्राधिकरण की टीम ने बीते दिनों उसके करीबियों की अवैध संपत्ति पर बुलडोजर चलाया. अधिकारियों के अनुसार सरकारी जमीन पर बने पार्क को कब्जा कर बद्दो व उसके करीबियों ने दुकानों का निर्माण कराया था. एमडीए ने इन्हें अवैध संपत्ति के रूप में चिन्हित कर इनके ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की. कार्रवाई के दौरान भारी संख्या में पुलिस-फोर्स मौजूद रही. बदन सिंह की तलाश भी की जा रही है, लेकिन अभी तक ढाई लाख का इनामी पुलिस के हाथ नहीं लग सका है. वहीं, पुलिस बद्दो को आर्थिक मदद पहुंचाने वाले करीबियों की कमर तोड़ने में लगी हुई है. सबसे पहले बद्दो का आलीशान बंगला ध्वस्त किया गया था, जिसके बाद अब बदन सिंह के इशारे पर कब्जा की गई पार्क की जमीन पर बनी फैक्ट्री को ध्वस्त करके पार्क को कब्जा मुक्त कराया गया है.

कुख्यात ड्रग्स माफिया तस्लीम के खिलाफ भी हो रही कार्रवाई
वहीं, मेरठ के एक और कुख्यात ड्रग्स माफिया तस्लीम का डेढ़ करोड़ का मकान कुर्क कर लिया गया है. लिसाड़ी गेट में उसने आलीशान कोठी बना रखी थी. पुलिस ने गैंगस्टर के तहत यह कारवाई की है. हाजी तस्लीम पर लालकुर्ती थाने में गैंगस्टर लगी है. जबकि वह रेलवे रोड का हिस्ट्रीशीटर है. यह मकान पिछले डेढ़ साल से बंद पड़ा था. इस शातिर ने चरस और ड्रग्स बेचकर लिसाड़ी गेट की शानदार कॉलोनी में आलीशान घर बनाया था. लालकुर्ती पुलिस ने तस्लीम पर गैंगस्टर 14-ए के तहत कार्रवाई करने के लिए पहले मुकदमा दर्ज किया था. गैंगस्टर के तहत ही पुलिस फोर्स ने लिसाड़ी गेट में जाकर ड्रग्स माफिया तस्लीम का घर कुर्क किया है. मेरठ के मोहल्ला मछेरान महताब में रहने वाला हाजी तसलीम स्मैक का काला कारोबारी रहा है. इस पर 50 से अधिक मुकदमे अलग-अलग थानों में दर्ज हैं. एएसपी चंद्रकांत मीणा, एएसपी ब्रहमपुरी विवेक, इंस्पेक्टर लालकुर्ती अतर सिंह, इंस्पेक्टर संजीव कुमार शर्मा और इंस्पेक्टर लिसाड़ी गेट और आरएएफ मिलकर तस्लीम के बंगले पर पहुंची थी. पुलिस ने मकान के ताले तोड़कर अंदर से घर में चेकिंग कराई. दामाद के नाम पर भी माफिया ने अवैध संपत्ति बनाई हुई है जिसकी जांच पुलिस कर रही है.

अंतर्राष्ट्रीय पशु तस्कर अकबर बंजारा की ऐसी है कहानी
उधर, अंतर्राष्ट्रीय पशु तस्कर अकबर बंजारा के खात्मे के बाद मेरठ स्थित उसकी प्रॉपर्टी पर बुलडोजर गरज रहा है. मेरठ के फतेहउल्लापुर में अकबर बंजारा की 300 वर्ग मीटर में बनाई गई व्यावसायिक दुकानों को भी ध्वस्त कर दिया गया है. वहीं, बिजली बंबा बाईपास के 100 फुटा रोड पर मेरठ विकास प्राधिकरण ने बुलडोजर से 13 दुकानें ढहा दीं. बताया गया कि अभी कई और अवैध निर्माण जल्द धराशाई होंगे. गोमांस सप्लाई कर मेरठ, बिजनौर सहित अन्य जिलों और राज्यों में करीब एक हजार करोड़ रुपये की संपत्ति अवैध तरीके से अर्जित की.

बता दें कि पिछले दिनों अकबर बंजारा और उसके भाई सलमान को असम पुलिस ने मुठभेड़ में ढेर कर दिया था. दोनों ही असम पुलिस की रिमांड में थे और असम पुलिस दोनों को कोर्ट में पेश करने के लिए ले जा रही थी, इसी दौरान वे पुलिस से छूटकर भागने लगे, जिसके बाद पुलिस और आरोपियों के बीच मुठभेड़ हो गई. मुठभेड़ में दोनों बदमाश मारे गए थे. मेरठ के फलावदा स्थित बंजारन मोहल्ले में अकबर बंजारा परिवार के साथ करीब 15 साल से रह रहा था. अकबर अंतरराज्जीय गो-तस्कर है और असम पुलिस ने कई बार उसकी तलाश में दबिश दी, लेकिन वह पुलिस के हाथ नहीं आ रहा था. फिर बाद में फलावदा पुलिस ने रंगदारी मांगने के मामले में अकबर और उसके दो भाई सलमान और शमीम को गिरफ्तार किया था.उन्हें कोर्ट ने जेल भेज दिया था. वहीं, यह जानकारी मिलने के बाद असम पुलिस मेरठ आई दोनों को अपने साथ ले गई थी. बताते हैं कि फलावदा में अकबर की गुंड़ागर्दी चलती थी, इसकी जानकारी होने के बावजूद पुलिस उसे गिरफ्तार करने से बचती थी. पुलिस ने बंजारा की संपत्ति की जानकारी जुटाई है जिसके बाद उसकी संपत्ति को गैंगस्टर के तहत जब्त करने की तैयारी भी पुलिस ने शुरू कर दी थी. यही नहीं, अकबर बंजारा ने बांग्लादेश बॉर्डर के पास भी कोठी बना ली थी.

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