


इलाहाबाद हाईकोर्ट (File Photo)
गौरतलब तलब है कि योगी सरकार (Yogi Government) द्वारा लाए गए धर्मांतरण अध्यादेश को इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) में चार अलग-अलग याचिकाएं दाखिल कर चुनौती दी गई है
- News18Hindi
- Last Updated:
February 2, 2021, 5:53 PM IST
लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने मामले में किसी तरीके से रोक लगाने या हस्तक्षेप करने से इंकार करते हुए राज्य सरकार की मांग खारिज कर दिया था. जिसके बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट में आज एक बार फिर से मामले की सुनवाई शुरू हुई, राज्य सरकार की ओर से पक्ष रख रहे अधिवक्ता ने सॉलिसिटर जनरल के कोर्ट में पेश ना हो पाने का हवाला देते हुए समय मांगा. मामले की सुनवाई कर रही जस्टिस संजय यादव और जस्टिस जयंत बनर्जी की डिवीजन बेंच ने आखिरी सुनवाई के लिए 24 फरवरी की तारीख तय कर दी.
दाखिल हुई हैं चार याचिकाएं
गौरतलब तलब है कि योगी सरकार द्वारा लाए गए धर्मांतरण अध्यादेश को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चार अलग-अलग याचिकाएं दाखिल कर चुनौती दी गई है. जिसमें अध्यादेश को रद्द करने की मांग की गई है. याचिका में धर्मांतरण कानून कानून के दुरुपयोग होने की आशंका जाहिर की गई है. याचिका में कहा गया है की इस कानून के जरिए समाज विशेष के लोगों को प्रताड़ित किया जाएगा, यह कानून विधि सम्मत नहीं है. साथ ही संविधान के खिलाफ बताते हुए रद्द किए जाने की मांग की गई है.कानून के जरिए रोका जाएगा महिलाओं का शोषण
जिस पर राज्य सरकार ने अपना जवाबी हलफनामा 5 जनवरी को ही दाखिल कर दिया है. राज्य सरकार ने इस कानून को बेहद जरूरी बताया है. इस कानून के जरिए महिलाओं का शोषण रोका जाएगा. सरकार की तरफ से अपनी दलील में कहा गया है कि शादी के लिए धर्म परिवर्तन से कानून व्यवस्था व सामाजिक हालात बेहद खराब हो रहे थे, ऐसे में यह कानून लाना राज्य सरकार की मजबूरी थी. साथ ही सरकार की तरफ से कहा गया कि यह कानून पूरी तरीके से संविधान सम्मत है. सरकार की तरफ से यह भी कहा गया कि इस कानून में किसी के भी मूल अधिकारों का हनन नहीं हो रहा है.
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