Lucknow Zoo: 13 बरस से कैंसर से जूझ रहा आदमखोर किशन अब गिन रहा आखिरी सांसें, जानें पूरी कहानी


रिपोर्ट : अंजलि सिंह राजपूत

लखनऊ. लखनऊ वाजिद अली शाह चिड़ियाघर में 2009 में किशनपुर से लाया गया बाघ किशन इन दिनों अपनी अंतिम सांसें गिन रहा है. उसने पांच दिन से खाना नहीं खाया है. चिड़ियाघर के चिकित्सक उसे बचाने के लिए पूरा प्रयास कर रहे हैं. इन सबके बावजूद बाघ किशन की उम्र और और उसका कैंसर उसकी हालत दिन-प्रतिदिन और नाजुक कर रहा है. नतीजतन चिकित्सकों के मन में कहीं न कहीं यह सवाल खड़ा हो गया है कि यह बच पाएगा या नहीं. चलिए जानते हैं आखिर किशन बाघ की क्या है पूरी कहानी.

आपको ले चलते हैं 2009 में, जब इसे किशनपुर से यहां लाया गया था. वन विभाग की टीम इसे रेस्क्यू कर लखनऊ के चिड़ियाघर लाई थी. ऐसा बताया जाता है कि किशनपुर में इस बाघ ने चार लोगों को मारा था, कई जानवरों के शिकार किए थे और खूब आतंक मचाया था. बड़ी मुश्किल से यह पकड़ में आया था. जब 2009 में इसे यहां पर लाया गया, तो चिकित्सकों ने शुरुआती जांच में पाया था कि किशन को मुंह और कान में कैंसर है, जिसके बाद इसका इलाज किया गया. बेहद हैरान करने वाली बात यह है कि पिछले 13 सालों से यह बाघ इस कैंसर से जूझता हुआ अभी तक जीवित रहा.

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आशंकाएं बलवती हैं

चिकित्सकों ने इसकी खूब देखरेख की. इसे लाइन हाउस में रखा गया और देखते ही देखते यह दर्शकों का बेहद चहेता बन गया. दर्शक इसे देखकर अक्सर रोमांचित हो उठते थे. हालांकि अब इसे आइसोलेशन में रखा गया है और इसका इलाज जारी है. लेकिन पिछले चार दिनों से खाना न खाने की वजह से कहीं न कहीं इसके अंतिम पड़ाव पर होने की आशंका चिकित्सकों को सता रही है.

नहीं मिली कोई पार्टनर

बाघ किशन को जब यहां लाया गया था, तब उसकी उम्र चार साल थी. अब वह करीब 16 साल का हो गया है. खास बात यह भी रही कि यह हमेशा अकेला ही रहा. इसे कोई जोड़ीदार मादा बाघ नहीं मिल पाई.

Tags: Lucknow news, Tiger, UP news



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