लखनऊ:-जानिए कैसे पीजीआई के पूर्व वरिष्ठ जनसंपर्क अधिकारी बने हेलमेट मैन


लखनऊ:-आशुतोष सोती लखनऊ के पीजीआई में वरिष्ठ जनसंपर्क अधिकारी के पद पर थे.सब कुछ उनकी जिंदगी में अच्छा चल रहा था तभी 15 जुलाई 2010 को हुए एक हादसे ने उनकी पूरी जिंदगी बदल दी.जी हां 15 जुलाई 2010 यह वही तारीख है जब आशुतोष सोती ने अपने इकलौते बेटे शुभम सोती को एक सड़क दुर्घटना में हमेशा के लिए खो दिया था और यहीं से आशुतोष सोती के हेलमेट मैन बनने के सफर की शुरुआत हो गयी थी. News18 local की टीमसे हुई खास बातचीत में उन्होंने बताया कि उनके तीन बच्चे थे, जिसमें दो बेटियां और इकलौता बेटा शुभम था.शुभम सबसे छोटा था और पढ़ाई में काफी तेज था.उन्होंने बताया कि 15 जुलाई 2010 को उनका इकलौता बेटा शुभम बाइक पर पीछे बैठकर जा रहा था तभी सड़क दुर्घटना में उसकी जान चली गई.अगर उसने हेलमेट लगाया होता तो शायद बच जाता.हादसे के छह-सात महीने तक लगातार यही सोचने के बाद उन्होंने अपने आप को और अपने परिवार को संभाला और शुभम सोती फाउंडेशन की स्थापना की.इस फाउंडेशन की स्थापना के बाद उन्होंने सड़क और चौराहे पर यूपी पुलिस के साथ मिलकर लोगों को सड़क के यातायात नियमों के बारे में जागरूक करना शुरू कर दिया और लोगों को रोक-रोक कर हेलमेट बांटना शुरू किया.यहीं नहीं उन्होंने कई जागरूकता कार्यक्रम किए रोड सेफ्टी के ऊपर और इसको लेकर आशुतोष सोती को पूरे देश भर में कई बड़े सम्मान से सम्मानित भी किया जा चुका है.

10 हजार से ज्यादा हेलमेट बांट चुके हैं
आशुतोष सोती ने बताया कि पिछले 12 साल के दौरान वह विभिन्न जागरूकता कार्यक्रम करते हुए शुभम सोती फाउंडेशन के तहत करीब 10 हजार हेलमेट बांट चुके हैं.उन्होंने बताया कि आगे बैठने वाला तो हेलमेट लगाता है लेकिन पीछे बैठने वाले के लिए भी हेलमेट अनिवार्य होना चाहिए क्योंकि वह पूरी तरह से बेफिक्र हो कर बैठता है.ऐसे में उनका बेटा भी जो किबाइक के पीछे बैठा हुआ था.अगर उसने बाइक के पीछे बैठकर भी हेलमेट लगाया होता तो शायद उसकी जान बच जाती.

सड़क दुर्घटना के पीड़ितों का ब्रिगेड बना रहे
आशुतोष सोती ने बताया कि वह पूरे देश भर में अलग-अलग शहरों से इसी तरह सड़क दुर्घटनाओं में अपनों को खो चुके लोगों की एक ब्रिगेड बना रहे हैं.उनसे जुड़ेंगे और उन सभी के साथ मिलकर काम करेंगे रोड सेफ्टी के ऊपर और उन्होंने यह भी बताया कि सरकार को भी रोड सेफ्टी को लेकर उनके साथ मिलकर काम करना चाहिए.क्योंकि जिसने इन दुखद हादसों को झेला है उन्हें ज्यादा जानकारी होती है.तो ऐसे में अगर सरकार सहयोग करे तो एक बड़ा रोड सेफ्टी जागरूकता अभियान चलाया जा सकता है.

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FIRST PUBLISHED : May 29, 2022, 23:25 IST



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