कटहल फेस्टिवल: डाकुओं के लिए बदनाम रहे चंबल में पर्यटकों की मस्ती, पांच नदियों के संगम पर हुई राफ्टिंग


इटावा. चंबल कटहल महोत्सव के बहाने कुख्यात डाकुओं के आंतक के लिए बदनाम रहे पांच नदियों के संगम पर पर्यटकों ने जमकर मौज मस्ती की. पहली दफा चंबल में राफ्टिंग से पर्यटकों ने उत्तराखंड जैसा आनंद लिया है. यह क्षेत्र कटहल के लिए जाना जाता है.

कुख्यात डाकुओं के आंतक का प्रमुख केंद्र रहा पंचनद अब बदल रहा है. इस बदलाव के पीछे डाकुओं का खात्मा और उसके बाद पर्यटकों की आवाजाही का शुरू होना है. यहां प्राकृतिक माहौल में योगा के विविध आसन तो कराये ही गये, साथ ही पांच नदियों के अहम सिंध नदी में राफ्टिंग की गई. सिंध नदी की धार राफ्टिंग मुफीद है, जो रोमांच से भर देती है. सिंध नदी में राफ्टिंग के सफल प्रयोग से यह इतिहास में सूबे की पहली राफ्टिंग नदी के लिए जानी जाएगी.

पंचनद यानी पांच नदियों का संगम
पांच नदियों के इस संगम पर चंबल कटहल फेस्टिवल का आयोजन हुआ. ये पहला मौका था जब नदियों के इस संगम के किनारे कटहल फेस्टिवल का आयोजन हुआ. न सिर्फ कटहल के बारे में बल्कि कटहल के उत्पादन के बारे में भी लोगों ने जानकारी ली. इसके साथ ही पंचनद में बाहर से आए लोगों ने राफ्टिंग का मजा भी लिया. सुबह योगा कराया गया. कई सैलानी पंचनद के किनारे रात में कैम्पिंग करते हुए रुके भी. चंबल फाउंडेशन चंबल घाटी की सकारात्मक पहचान विश्व के सामने लाने की लगातार कई वर्षों से भागीरथ प्रयास कर रहा है.

कटहल फेस्टिवल को लेकर लोगों में जोश दिखाई दे रहा है.

दूर-दूर से आ रहे सैलानी
चंबल की खूबसूरती को निहारने दूरदराज से सैलानी आ रहे हैं. चंबल कटहल फेस्टिवल के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए सुमित प्रताप सिंह ने कहा कि आने वाले वर्षों में इस फेस्टिवल की गूंज पूरी दुनिया में सुनाई देगी. चम्बल के कटहल के लजीज खानों का लुत्फ लेने के लिए विदेशी सैलानी खिंचे चले आएंगे. चंबल कटहल फेस्टिवल में कई प्रदेशों से लाए गए कटहलों की प्रदर्शनी लगाई गई. जहां चंबल के बीहड़ में पैदा हुआ सबसे बड़े साइज का कटहल देखने के बाद दर्शकों ने दांतों तले उंगली दबा ली. वहीं, थाईलैंड के रंगीन कटहल ने लोगों में रोमांच भर दिया. पूरे विश्व में कटहल की मांग को देखते हुए बीहड़वासियों से इसका पौधा लगाने की अपील की गई.

ब्रिटिश काल से चंबल में हो रही कटहल की खेती
दरअसल, ब्रिटिश काल में चम्बल में बड़े पैमाने पर कटहल की खेती होती थी. हत्या जैसे संगीन जुर्म में कटहल के पांच पेड़ों पर जमानत मिल जाती थी. हैरानी की बात है कि चम्बल घाटी में पका कटहल नहीं खाया जाता है. जबकि केला और अनानास के स्वाद जैसा पका कटहल खाने का देश में खूब चलन है.

पंचनद योग महासंगम की संयोजिका स्वेच्छा दीक्षित ने प्राकृतिक माहौल में योगा के विविध आसन कराकर जान फूंक दी. पंचनद से उठती ताजी हवाओं ने तरोताजा कर दिया. पांच नदियों के संगम तट पर यह मंजर अपने आप अनोखा था. पांच नदियों के संगम के नजदीक दस्यु सरगना रहे सलीम गुर्जर उर्फ पहलवान के गांव के नजदीक सिंध नदी में राफ्टिंग की गई. सिंध नदी की धार राफ्टिंग मुफीद है जो रोमांच से भर देती है.

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