क्रिमिनल केस होने पर भी सरकारी सेवकों का नहीं रोक सकते प्रमोशन, इलाहबाद हाईकोर्ट का अहम फैसला


हाइलाइट्स

हाईकोर्ट ने कहा कि अपराधिक केस होने पर अनिश्चितकाल के लिए पदोन्नति रोकना गलत
याचिकाकर्ता हेड कांस्टेबल नीरज कुमार पांडेय ने लगाई थी याचिका

प्रयागराज: सरकारी सेवकों पर आपराधिक केस के आधार पर पदोन्नति रोकने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि सरकारी सेवक की पदोन्नति को आपराधिक केस लंबित होने के आधार पर अनिश्चित काल के लिए नही रोका जा सकता. हाईकोर्ट ने कहा कि आपराधिक केस के आधार पर पदोन्नति रोकना गलत है. कोर्ट ने कहा कि आपराधिक केस लंबित होने से सरकारी सेवक को उसके प्रमोशन से इंकार नहीं किया जा सकता है. हाईकोर्ट ने यह फैसला कांस्टेबल नीरज कुमार पांडेय की याचिका पर सुनाया है.

यह था मामला
जस्टिस राजीव मिश्र की सिंगल बेंच ने पुलिस कांस्टेबल नीरज कुमार पांडेय की याचिका की सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया है. हाईकोर्ट ने याचिका की सुनवाई करते हुए, पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वह दो माह के अंदर याची की सील कवर प्रक्रिया को खोलने के लिए आदेश पारित करें.

बताया गया कि डीजीपी मुख्यालय, उत्तर प्रदेश (लखनऊ) द्वारा 1 जनवरी 2021 को जारी हेड कांस्टेबल प्रमोशन लिस्ट में याचिकाकर्ता हेड कांस्टेबल नीरज कुमार पांडेय के प्रमोशन को सील कवर में रखा गया था. कांस्टेबल नीरज पर अपराधिक केस होने के कारण उनके प्रमोशन पर रोक लगाई गई थी. जिसके खिलाफ नीरज ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर प्रमोशन पर लगी रोक को चुनौती दिया था. नीरज ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर मांग की थी कि उसके प्रमोशन को सील कवर से खोला जाए.

अधिवक्ता ने दिया यह तर्क
याची के सीनियर अधिवक्ता विजय गौतम का तर्क था कि याची को आपराधिक केस के चलते यूपी पुलिस ऑफिसर ऑफ सबार्डिनेट रैंक (पनीशमेंट एंड अपील रूल्स) 1991 के नियम 8(2) (बी) के अंतर्गत बर्खास्त कर दिया गया था. हाईकोर्ट के आदेश से उसे सेवा में बहाल कर लिया गया और वह पुलिस विभाग में निरंतर कार्यरत रहा है. बहस की गई कि क्रिमिनल केस लंबित रहने के बावजूद याची को नौकरी में बनाए रखा गया है, तो ऐसे में इसी क्रिमिनल केस के आधार पर प्रमोशन से वंचित रखना गलत है. अधिवक्ता विजय गौतम ने कहा कि जब आपराधिक केस के आधार पर की गई बर्खास्तगी को हाईकोर्ट ने रद्द कर बहाली का आदेश दिया तो, पुनः उसी आधार पर प्रमोशन देने से इंकार करना अवैधानिक है.

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