सांकेतिक तस्वीर
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राज्य राजमार्गों (स्टेट हाईवे) को चौड़ा करने के लिए अभिनव प्रयोग होने जा रहा है। इसमें राजमार्गों के लिए जमीन देने वाले किसानों की टोल टैक्स में भी साझेदारी होगी। इनके किनारे किसानों की जमीन पर जो भी व्यावसायिक व आवासीय क्षेत्र विकसित किए जाएंगे, उनका भी एक हिस्सा पुनर्वास के रूप में उन्हें लौटाया जाएगा।
केंद्र की विशेष योजना के तहत ये काम कराने के लिए केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय और पीडब्ल्यूडी के बीच सहमति बन चुकी है। यह प्रयोग आंध्र प्रदेश की राजधानी अमरावती के निर्माण के दौरान किया जा चुका है। उत्तर प्रदेश में पहले चरण में उन स्टेट हाईवे को शामिल किया जाएगा, जिनका पीसीयू (पैसेंजर कार यूनिट) 20 हजार प्रतिदिन से अधिक है।
इस लिहाज यहां के करीब 21 स्टेट हाईवे के चयन की संभावना है। इन हाईवे के चौड़ीकरण व विकास के लिए कुल 60 मीटर चौड़ाई में जमीन ली जाएगी। अभी यहां 30-45 मीटर चौड़ाई में ही जमीन उपलब्ध है। केंद्र सरकार से इनके चयन को मंजूरी मिलने के बाद इन्हें सुपर स्टेट हाईवे का दर्जा दिया जाएगा। पीडब्ल्यूडी ने इन हाईवे को चिह्नित करने के लिए काम शुरू कर दिया है।
न्यूनतम 20 साल तक साझेदारी
अभी तक लागू व्यवस्था में हाईवे के चौड़ीकरण के लिए किसानों से जो जमीन ली जाती है, उसके मुआवजे के रूप में राज्य सरकार को अच्छी खासी रकम खर्च करनी पड़ती है। यह परियोजना लागत की 60 प्रतिशत तक होती है।