झारखंड के पते पर बनाई फर्जी कंपनी, फिर पैसे दोगुना करने का लालच देकर लोगों से ठगी, बंटी-बबली अरेस्ट


मिर्जापुर. यूपी के मिर्जापुर में पुलिस ने बंटी-बबली गैंग का खुलासा किया. आरोपी पति और पत्नी फर्जी कंपनी बनाकर पैसा दोगुना करने के नाम पर लोगों से ठगी करते थे. पुलिस ने कंपनी के डायरेक्टर्स पति-पत्नी सहित तीन लोग गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. ये लोग ओएचएम और ओटीवी नामक दो फर्जी कंपनियों में निवेशकों के धन को जमा कराकर दोगुना करने का लालच देते थे. फिर जमा कराए गए पैसा का निजी इस्तेमाल करते थे. पुलिस ने जब कंपनी के नाम से खोले गए खातों के बारे में जानकारी ली तो पता चला इन कंपनियों के नाम पर खाते में कोई पैसा जमा नहीं है. ये लोग अपने निजी खातों में या अलग अलग तरीके से लोगों पैसे लेते थे.

5 साल में रुपये दोगुना करने का देते थे लालच

बंटी और बबली ने अपने रिश्तेदारों की मदद से एजेंट तैयार कर रखे थे, जो निवेशकों को पैसा दोगुना करने का लालच देकर पैसा कंपनी में जमा करवाते थे. इसके बाद पैसों की ठगी कर निवेशकों के साथ धोखाधड़ी करते थे.

कम पढ़े लिखे लोगों को बनाते थे निशाना
पति- पत्नी एजेंटों के माध्यम से कम पढ़े लिखे लोगों या गरीबों को अपनी जाल में फंसाते थे. पांच साल में धन दोगुना करने का लालच देकर लोगों से पैसा लेकर अपनी शोक पूरा करते थे. 2013 में सुनील सिंह ने पत्नी कंचन के साथ मिलकर ओएचएम और ओटीवी नाम की दो फर्जी कंपनियां बनाई. इनमें रिश्तेदारों की नियुक्ति महत्वपूर्ण पदों पर की. ये दोनों कंपनियां झारखंड के पलामू के पता पर रजिस्टर्ड है. जिसकी शाखा मिर्जापुर के सेमरी में खोली गयी थी.

इस पूरे जालसाजी का खुलासा तब हुआ जब विंध्याचल थानाक्षेत्र अंतर्गत भटेवरा निवासी डॉक्टर कुमार ने विंध्याचल थाने में बीते 19 अक्टूबर को शिकायत दर्ज कराई कि कंपनी में पैसा दोगुना करने के नाम पर 5 लाख रुपये उनसे निवेश के तौर जमा कराया गया. अब पैसा मांगने पर गाली और धमकी दी जा रही है. पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू की तो फर्जी कंपनी के नाम पर निवेशकों के साथ ठगी के मामले का खुलासा हुआ. पुलिस ने आरोपी के पास से 30 लाख रुपये, कीमती कार, लैपटॉप और टीवी बरामद किये.

एसपी संतोष कुमार मिश्रा ने बताया कि इस मामले में तीन लोगों की गिरफ्तारी हुई है. ये लोग पैसा दोगुना करवाने के नाम पर पैसा जमा करवाते थे. इनके पास 30 लाख रुपये की रिकवरी हुई है. लोगों से ठगे पैसों का इस्तेमाल ये लोग जमीन खरीदने और दूसरे कार्यों में करते थे.

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