झांसी के आइस कैंडी कर रहे बच्चों की सेहत से खेलवाड़, जांच हुआ तो 52 में से 31 सैंपल फेल


हाइलाइट्स

खाद्य सुरक्षा अधिकारी ने बताया कि जल्द ही विस्तृत रिपोर्ट जारी की जाएगी और जिम्मेदारों पर कार्रवाई की जाएगी.
फूड एक्सपर्ट डॉ शुभांगी निगम ने बताया कि फूड कलर से बच्चों लीवर और किडनी पर बुरे असर का खतरा रहता है.

रिपोर्ट: शाश्वत सिंह

झांसी. अगर आपके बच्चे को आइस कैंडी खाने का शौक है और आप उसे यह आसानी से उपलब्ध करवा देते हैं, तो अब जरा सावधान हो जाएं. इसका कारण है आइस कैंडी में हो रही मिलावट. झांसी में कैंडी बनाने वाली कंपनियां लगातार मिलावट कर रही हैं. आइस कैंडी जो हर बच्चे की पसंद होती है, वही अब उनकी सेहत के लिए आफत बनती जा रही है. झांसी के खाद्य विभाग ने कुछ आइस कैंडी के नमूने जांच के लिए गोरखपुर भेजे थे, जिनके नतीजे वहां से आ चुके हैं.

बता दें कि झांसी से लिए गए 100 से अधिक नमूने जांच के लिए भेजे गए थे, जिनमें से 52 की रिपोर्ट आ गई हैं. इन 52 में से 31 सैंपल फेल हो गए हैं. खाद्य सुरक्षा अधिकारी चितरंजन कुमार ने बताया कि आइस कैंडी में फूड कलर मिलाया जाता है. इसकी सीमा 100 पीपीएम (पार्ट पर मिलियन) तय की गई है. लेकिन, झांसी से जो सैंपल जांच के लिए भेजे गए थे, उनकी रिपोर्ट में बताया गया कि उनमें 375 पीपीएम रंग मिला है. इसके अलावा भी कई नमूने मानकों पर खरे नहीं उतरे हैं. चितरंजन कुमार ने बताया कि जिन सैंपल्स में गड़बड़ी मिली है, उनकी और अधिक जांच की जा रही है. जल्द ही एक विस्तृत रिपोर्ट जारी की जाएगी और जिम्मेदारों पर कार्रवाई की जाएगी.

बच्चों की सेहत को नुकसान

फूड एक्सपर्ट डॉ शुभांगी निगम ने बताया कि फूड कलर मिलाने की वजह से बच्चों की सेहत को कई तरीके से नुकसान हो सकता है. फूड कलर की वजह से लीवर और किडनी खराब होने का खतरा बना रहता है. इसके साथ ही बच्चों का इम्यूनिटी सिस्टम भी खराब होता है. उन्होंने कहा कि नेचुरल कलर का इस्तेमाल करने वाली आइस कैंडी का ही सेवन करना चाहिए.

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