Jagannath Rath Yatra: काशी में मंदिर छोड़ भक्तों के बीच पहुंचे भगवान जगन्नाथ, 218 साल पुरानी है परंपरा


रिपोर्ट-अभिषेक जायसवाल

वाराणसी. बाबा विश्वनाथ (Kashi Vishwanath) के शहर बनारस में यूं तो हर मन्दिर में भीड़ होती है. भक्त वहां जाते हैं और अपने आराध्य की पूजा अर्चना कर आशीर्वाद मांगते हैं, लेकिन इसी प्राचीन शहर में एक ऐसी अनोखी परम्परा भी है जब भगवान अपने मन्दिर को छोड़ भक्तों की मुरादें पूरी करने के लिए उनके बीच ही पहुंच जाते हैं. एक दो नहीं बल्कि पूरे तीन दिनों तक भगवान रथ पर विराजमान होकर भक्तों को आशीर्वाद देंते हैं. बीते 218 सालों से ये परम्परा निरन्तर चली आ रही हैं.

बहरहाल, आज (शुक्रवार) वाराणसी में भगवान विष्णु के अवतार जगन्नाथ (Jagannath Rathyatra) अपने बड़े भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ रथ पर विराजमान होकर सड़क पर भक्तों को अर्जी सुन रहे हैं. इस रथयात्रा में तीन दिनों तक बड़ी संख्या में भक्त भगवान के दर्शन को आते हैं. ऐसी मान्यता है कि जो भी भक्त पूरे श्रद्धाभाव से भगवान जगन्नाथ की पूजा आराधना करता है,उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.

पुरी के दर्शन का मिलता है लाभ
वाराणसी में तीन दिनों तक चलने वाले इस रथयात्रा में लाखों भक्त शामिल होते हैं, इसलिए इसे लक्खा मेले के नाम से भी जाना जाता है. मान्यताओं के मुताबिक, काशी में पर्व और त्योहारों की शुरुआत इसी मेले से होती है. जगन्नाथ मंदिर के मुख्य पुजारी राधेश्याम पांडेय ने बताया कि उड़ीसा के पुरी के प्रसिद्ध रथयात्रा मेले के शुरुआत के साथ ही काशी में हर साल मेले का आगाज होता है. भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा भी यहां पुरी के प्रतिमा की जैसी ही है, इसलिए यहां भगवान के दर्शन से पुरी जगन्नाथ मंदिर के दर्शन का लाभ श्रद्धालुओं को मिलता है.

मंगला आरती से हुई शुरुआत
तीन दिनों तक चलने वाले इस मेले की शुक्रवार की सुबह 5 बजे भगवान भाष्कर के लालिमा के साथ मंगला आरती से हुई. इस दौरान डमरू के डम डम की आवाज और शंख की ध्वनि से पूरा क्षेत्र गूंज उठा. रथयात्रा में दर्शन को आई शालिनी ने बताया कि भगवान के दर्शन मात्र से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और इस बार दो साल बाद भगवान के दर्शन हुए तो मन प्रसन्न हो गया है.

तीन दिनों तक अलग-अलग स्वरूप में देते है दर्शन
राधेश्याम पांडेय ने बताया कि भगवान जगन्नाथ बीमारी से स्वस्थ्य होने के बाद नगर भ्रमण पर आते हैं. इस दौरान वो अलग-अलग दिन अलग-अलग स्वरूप में भक्तों को दर्शन देते हैं.

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