इस शहर में मेट्रो ट्रेन और पॉड टैक्सी को मिली मंजूरी, शुरुआत में खर्च होंगे 300 करोड़


नोएडा. अब इस नए शहर में भी मेट्रो ट्रेन (Metro Train) और पॉड टैक्सी Pod Taxi चलेंगी. यमुना अथॉरिटी (Yamuna Authority) ने इसके लिए बोर्ड की बैठक में मंजूरी भी दे दी गई है. शुरुआत में दोनों योजनाओं पर 300 करोड़ रुपये खर्च होंगे. भारत में पॉड टैक्सी चलाए जाने का यह पहला प्रयोग है. वहीं मेट्रो ट्रेन को इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट (IGI) से जेवर एयरपोर्ट (Jewar Airport) तक चलाने का प्लान तैयार किया गया है. सुपर फास्ट मेट्रो ट्रेन के लिए एक बड़ा मेट्रो रेल कॉरिडोर तैयार करने का खाका खींचा जा रहा है. 300 करोड़ रुपये से डीपीआर (DPR) और फिजिबिलिटी जैसी रिपोर्ट तैयार की जाएंगी. दोनों योजनाओं को मॉडल कनेक्टिविटी के दायरे में रखा गया है.

कॉरिडोर में 120 किमी की रफ्तार से दौड़ेगी सुपर फॉस्ट मेट्रो

120 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से सुपर फॉस्ट मेट्रो ट्रेन चलाने के लिए यमुना अथॉरिटी का प्लान है कि जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट के साथ ही मेट्रो ट्रेन जेवर तक पहुंच जाए. इसके लिए अथॉरिटी चाहती है कि पहले फेज में आईजीआई, दिल्ली एयरपोर्ट से लेकर नॉलेज पार्क (ग्रेटर नोएडा) के 38 किमी लम्बे रूट तक नया मेट्रो रेल कॉरिडोर तैयार किया जाए. इसके लिए पूरी लाइन नए तरीके से बिछाई जाएगी.

दूसरा फेज 35.6 किमी का है. इस फेज में नॉलेज पार्क से लेकर जेवर एयरपोर्ट तक मेट्रो ट्रेन चलाने का प्लान है. नॉलेज पार्क से जेवर तक मेट्रो का रूट एलिवेटेड होगा. यह गौतम बुद्ध नगर का सबसे लम्बा रूट होगा. नोएडा और ग्रेटर नोएडा मेट्रो रूट की लम्बाई 29.7 किमी है.

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जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट से शिवाजी पार्क स्टेडियम को सुपर फॉस्ट मेट्रो रेल कॉरिडोर से जोड़ने के पीछे एक बड़ी वजह है. शिवाजी पार्क स्टेडियम मेट्रो स्टेशन पहले ही आईजीआई एयरपोर्ट के लिए बनाए गए डेडीकेटेड मेट्रो कॉरिडोर का स्टेशन है. वहां से ग्रेटर नोएडा नॉलेज पार्क-2 तक आने वाली यह लाइन जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट को दिल्ली एयरपोर्ट से जोड़ देगी.

एयरपोर्ट से फिल्म सिटी तक ऐसे चलेगी पॉड टैक्सी

पॉड टैक्सी दो तरह से चलती है, एक ट्रैक पर और दूसरा केबल की मदद से हैंगिंग मोड पर. लेकिन भारत में इसे ट्रैक पर चलाए जाने की योजना है. इस ट्रैक पर न तो रेड सिग्नल होगा और न ही जाम लगेगा. हालांकि विदशों में जो पॉड टैक्सी चल रही हैं वो 4 से 6 सीटर हैं, लेकिन भारत में 8 से 10 सीटर टैक्सी चलाए जाने की योजना है.

पॉड टैक्सी पूरी तरह से कंप्यूटराइज्ड होती है. इसमे ड्राइवर नहीं होता है. यह बैटरी से चलती है. लेकिन पॉड टैक्सी की शुरुआत करना कोई आसान काम नहीं है. पॉड टैक्सी के लिए बनाए जाने वाले एक किमी ट्रैक की लागत करीब 60 करोड़ रुपये आती है. टैक्सी में बैठने के साथ ही टच स्क्रीन की मदद से जहां आपको उतरना है उस स्टेशन का नाम लिखना होता है. स्टेशन आने पर टैक्सी खुद ही रुक जाएगी. किराए का भुगतान कार्ड से करना होता है.

नोएडा हेलीपोर्ट तक भी चल सकती है पॉड टैक्सी

नोएडा में गोल्फकोर्स के पास ही हेलीपोर्ट का निर्माण भी किया जा रहा है. यह हेलीपोर्ट महामहाया फ्लाई ओवर से पास और पिर चौक से दूर है. लेकिन यात्रियों को परेशानी न हो इसके लिए अथॉरिटी की योजना ओखला बर्ड सेंचुरी मेट्रो रेल स्टेशन से हेलीपोर्ट तक पॉड टैक्सी चलाए जाने की है.

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