IIT कानपुर ने तैयार किया खास ऐप, डिस्लेक्सिया-डिस्ग्राफिया से पीड़ित बच्‍चों को होगा बड़ा फायदा


रिपोर्ट- अखण्ड प्रताप सिंह

कानपुर. आईआईटी कानपुर मेडिकल क्षेत्र में भी काफी आगे बढ़ रहा है. आईआईटी कानपुर के उपकरण का देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में बोलबाला है. अब आईआईटी कानपुर ने एक ऐसा ऐप तैयार किया है जो डिस्लेक्सिया और डिस्ग्राफिया से पीड़ित बच्चों के लिए बेहद फायदेमंद साबित होगा. इसके जरिए वे आसानी से लिखना और पढ़ना सीख सकेंगे.

आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर बृजभूषण ने बताया कि जो बच्चे डिस्लेक्सिया और डिस्ग्राफिया से पीड़ित हैं ऐसे बच्चों की संख्या बहुत अधिक है. लोग जान नहीं पाते हैं कि उनके बच्चे इस बीमारी से पीड़ित हैं. एक सर्वे में भी यह सामने आया है कि स्कूल जाने वाले 15 फीसदी बच्चे इस बीमारी से ग्रसित हैं. यह ऐप बच्चों के लिए बेहद कामगर साबित होगा, क्योंकि इसके जरिए उनकी अशुद्धियां सही की जा सकेंगी.

जानिये कैसे काम करेगा ऐप
इस ऐप का नाम AACDD रखा गया है. इस ऐप में बच्चों को पढ़ाने के लिए तीन चरण दिए गए हैं. पहले चरण में बच्चों को अक्षर की पहचान करना और उनको ड्रॉ करना शामिल है. वहीं दूसरे चरण में एक अक्षर को कई टुकड़ों में तोड़ दिया जाता है. उसके बाद उन टुकड़ों से एक अक्षर बनाना शामिल है. ऐसे में बच्चे अक्षर को आसानी से पहचानेंगे. वहीं तीसरे चरण में अक्षरों से निर्मित शब्दों को बच्चे ट्रेस करके बनाएंगे. प्रोफेसर ब्रज भूषण ने बताया कि लगभग 15 बार इस ऐप के प्रैक्टिसिंग से बच्चों की बीमारियां काफी हद तक दूर होंगी और उन्हें पढ़ने और लिखने में समस्या नहीं आएगी.

जाने क्या होती है यह बीमारी?
डिस्लेक्सिया और डिस्ग्राफिया दोनों न्यूरोलॉजिकल आधारित सीखने की अक्षमता की बीमारी हैं. प्रारंभिक शिक्षा के दौरान इसका इलाज किया जा सकता है, लेकिन जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है अगर इस पर ध्यान ना दिया जाए तो यह गंभीर बीमारी बन जाती है जिससे बच्चों को लिखने और पढ़ने में समस्या होती है. डिस्लेक्सिया पढ़ने में समस्याएं पैदा करता है, तो डिस्ग्राफिया को लिखित अभिव्यक्ति विकार भी कहा जाता है,यह लेखन में समस्याएं पैदा करता है. हालांकि खराब या अस्पष्ट लिखावट डिस्ग्राफिया के विशिष्ट लक्षणों में से एक है. इस सीखने की अक्षमता में केवल खराब लिखावट होने के अलावा और भी बहुत कुछ है.

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