हस्तिनापुर की धरती उगल रही है इतिहास के कई राज, पांडव टीले की खुदाई में प्राचीन मंदिर और स्तंभों ने चौंकाया


मेरठ. मेरठ से चालीस किलोमीटर दूर हस्तिनापुर (Hastinapur) में तकरीबन तीस मीटर तक उत्खनन हो चुका है. उम्मीद है कि बहुत जल्द हस्तिनापुर की धरती इतिहास के बड़े राज़ पर से पर्दा उठाएगी. हस्तिनापुर में चल रहे उत्खनन कार्य को देखने के लिए छात्रों की टोली भी पाण्डव टीले (Pandav Teele) पहुंची. इन छात्रों ने जब प्राचीन मूर्तियां, अवशेष और स्तंभ देखे, तो चकित रह गए. मेरठ जिला विज्ञान क्लब की ओर से छात्र-छात्राओं को ऐतिहासिक स्थल भ्रमण के लिए ले जाया गया है.

छात्र हस्तिनापुर के रघुनाथपुर टीला पहुंचे और उत्खनन कार्य को देखा. अब तक यहां कई प्राचीन अवशेष मिल चुके हैं. इतिहासकार लगातार शोध कर रहे हैं. माना जा रहा है कि हस्तिनापुर में बरसों पहले एक संपन्न व्यवस्था थी, जिसका पतन समय के साथ होता गया.

पांडव टीले की खुदाई में मिले मंदिर
मेरठ से चालीस किलोमीटर दूर हस्तिनापुर के पांडव टीले पर चल रही खुदाई में पुरातत्व विभाग की टीम को बीते दिनों पुराने मंदिर के स्तंभ का एक अवशेष मिला है. पुरातत्व विभाग की टीम ने इसे जांच के लिए सुरक्षित रख लिया है. साथ ही अऩ्य अवशेषों की जांच में जुट गई है. करीब तीन फीट वाले मंदिर के स्तंभ का अवशेष मिलने से आसपास बड़े और प्राचीन मंदिर के होने की संभावना जताई जा रही है.

खुदाई से निकला यह स्तंभ 10वीं से 11वीं शताब्दी के बीच का माना जा रहा है. खुदाई में निकले इस अलंकृत मंदिर के पिलर के अवशेष मिलते ही पुरातत्व विभाग की टीम और अन्य अवशेषों को भी तलाश रही है. विशेषज्ञों का मानना है कि यहां पर प्राचीन समय में मंदिर होने की भी संभावना है. ऐसी हर संभावना को देखते हुए पुरातत्व विभाग की टीम अन्य प्राचीन तथ्यों को खोजने के लिए भरसक प्रयास कर रही है. अभी तक पांडव टीले पर अलग-अलग ट्रेंच खुदाई के लिए लगाए गए हैं, जिनमें से कहीं ट्रेंच की खुदाई करीब तीस फीट तक पहुंच चुकी है.

इससे पहले पाण्डव टीले की खुदाई में मृदभांड, प्राचीन समय के हड्डियों के अवशेष, कांच और शंख की चूड़ियां, सहित प्राचीन चित्रित मृदभांड प्राप्त हुए हैं. पांडव टीले की खुदाई में निकले पुराने मंदिर के स्तंभ मिलने से पुरातत्व विभाग की टीम को संभावना है कि यहां पर जल्द ही अन्य कई बड़े अवशेष मिलेंगे, जिससे कई रहस्यों से पर्दा उठ सकेगा.

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