रिपोर्ट – अंश कुमार माथुर
बरेली. सर्दी, बुखार, खांसी, जुकाम होने पर बिना डॉक्टरी परामर्श के दवा का सेवन करने की प्रवृत्ति लोगों में लगातार बढ़ती जा रही है. जिसके चलते लगातार एंटीबायोटिक दवाओं का अंधाधुंध उपयोग करना आने वाले भविष्य में बड़ा खतरा बन कर सामने आ सकता है. शरीर में एंटीबायोटिक प्रतिरोधक बढ़ने के साथ उन दवाओं का असर खत्म होने की संभावना बढ़ रही है. जिससे कुछ समय के लिए वह उस एंटीबायोटिक दवा से ठीक हो जाता है. लेकिन भविष्य में और विकराल रूप लेकर सामने आ रहा है.
यह दवा उस मर्ज को ठीक करने के लिए बेअसर साबित होने लगती है. एंटीबायोटिक दवाओं के सेवन के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए स्वास्थ्य विभाग लगातार सचेत भी कर रहा है और बिना डॉक्टर के परामर्श के सीधे मेडिकल से एंटीबायोटिक दवाई लेने पर लोगों को रोकने का प्रयास भी कर रहा है. जिसके चलते बीच-बीच में जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को जागरूक भी किया जा रहा है. वही इस बारे में अधिक जानकारी देते हुए आईएमए के वरिष्ठ चिकित्सक डॉक्टर अतुल श्रीवास्तव ने बताया कि एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति शरीर में प्रतिरोध होना और उसका एकदम बढ़ना यह प्रक्रिया एक गंभीर समस्या को बढ़ावा दे रही है.
एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग
आईसीएमआर की रिपोर्ट के अनुसार इस दिशा में अगर आने वाले समय में प्रभावी सुधार नहीं हुआ तो यह कोरोनावायरस की महामारी की तरह विकराल रूप बनकर एक नये रुप में सामने आ सकता है. एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग चिकित्सकों के द्वारा जीवाणु संक्रमण को रोकने उनके इलाज के लिए किया जाता रहा है. जोकि अब बिना चिकित्सीय सलाह के इन दवाओं के दुरुपयोग होने से व्यक्ति के शरीर में एंटीबायोटिक प्रतिरोध पैदा करने लगा है. एंटीबायोटिक प्रतिरोध का मतलब है दवाओं के अधिक प्रयोग से बैक्टीरिया अपना रूप बदलने लगा है. जिससे यह दवाएं शरीर पर काम करना बंद कर रही है.
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Tags: Bareilly city news, Covid19
FIRST PUBLISHED : December 07, 2022, 20:15 IST