सांकेतिक तस्वीर।
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एटीएस की एक छोटी सी चूक ने गोरखपुर पुलिस की 24 घंटे तक नींद उड़ा रखी थी। चंदौली के कारोबारी प्रसून को उठाकर एटीएस ले गई, लेकिन इसकी सूचना गोरखपुर पुलिस के किसी भी अधिकारी को नहीं दी गई। इसका नतीजा यह रहा कि पुलिस अपहरण मानकर जांच में जुटी रही। काफी जांच पड़ताल के बाद शुक्रवार दोपहर बाद जब गोरखपुर पुलिस ने तस्दीक कर ली कि उसे एटीएस ले गई तो फिर एसएसपी ने एटीएस से संपर्क साधा और पुष्टि के बाद राहत की सांस ली।
आमतौर पर बाहर से पुलिस आती है या फिर एटीएस आती है तो पुलिस को सूचना दी जाती है। इसकी एक बड़ी वजह यह भी है कि अगर टीम के साथ कोई अनहोनी हो जाए तो लोकल पुलिस तत्काल मौके पर पहुंच सके। लेकिन, इस पूरे मामले में ऐसा नहीं किया गया है। जिस वजह से पुलिस परेशान रही।
जानकारी के मुताबिक, एटीएस ने बृहस्पतिवार दोपहर एक बार पूछताछ की और फिर शाम 4.30 बजे कारोबारी को साथ लेकर लखनऊ निकल गई। परिजन को जानकारी नहीं दी, पुलिस भी बेखबर बनी रही। एसएसपी ने हाई प्रोफाइल मामले में एसपी सिटी कृष्ण कुमार बिश्नोई के नेतृत्व में टीम भी गठित कर दी थी। एसपी सिटी की टीम जांच के बाद पूरे मामले का खुलासा की तो सच्चाई सामने आई।
ऐसे खुला मामला, सिपाही ने की पहचान
कारोबारी के अपहरण की खबर से आला अफसर तक बेचैन हो गए थे। सुरक्षा सवालों के घेरे में थी। पुलिस सीसीटीवी फुटेज और सीडीआर की मदद से जांच में जुटी थी। इसी बीच क्राइम ब्रांच के एक सिपाही ने होटल में दाखिल होते एक सिपाही को पहचान लिया। दरअसल, यही सिपाही गोरखनाथ मंदिर में पुलिसकर्मियों पर हमला करने वाले मुर्तजा की गिरफ्तारी के समय भी आया था। उसके बाद सिपाही ने एटीएस की बात कही तो अफसरों ने एटीएस से संपर्क साधा और पूरा मामला खुलकर सामने आया है।