गाज़ियाबाद में लापरवाही से बढ़ रहा प्रदूषण, आवास विकास परिषद के आदेशों की हो रही अनदेखी


विशाल झा

गाजियाबाद. उत्तर प्रदेश का गाजियाबाद देश में सबसे प्रदूषित जिला बन रहा है. यह हम नहीं, बल्कि शहर की आबो-हवा और यहां का एयर क्वालिटी इंडेक्स यानी  एक्यूआई बता रहा है. यहां का एक्यूआई लेवल 200 के ऊपर बना हुआ है. यह मॉडरेट केटेगरी से नीचे नहीं आ रहा है. गाजियाबाद के देश में सबसे प्रदूषित जिला बनने के पीछे कई कारण है. इसमें निर्माण कार्य भी शामिल है. जिले के सिद्धार्थ विहार की सड़क वर्षो से बदहाल है. यहां वाहनों के गुजरने के साथ धूल का अंबार उड़ता है जिसमें छोटे कंकड़ भी शामिल रहते हैं.

बता दें कि, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल यानी एनजीटी ने आवास-विकास परिषद को जमकर फटकार लगाई है. यूपीपीसीबी ने आवास विकास परिषद पर इस सड़क को लेकर साढ़े 13 लाख रुपए का जुर्माना लगाने की भी बात कही है. एनजीटी के अधिकारियों ने कहा था कि जब तक सड़क का निर्माण कार्य पूरा नहीं हो जाता है, तब तक सड़क बंद रखी जाए. इसके बाद सड़क को पट्टी लगाकर बंद कर दिया गया था, लेकिन वाहन चालकों ने इस पट्टी को हटाकर वापस वहां आवगमन शुरू कर दिया है.

हालात का जायजा लेने पहुंची न्यूज़ 18 लोकल जब यहां पहुंची तो पाया कि सड़क कई हिस्सों से टूटी हुई है. इस पर अगर दोपहिया वाहन तेजी से गुजरे तो दुर्घटना की आशंका बनी रहती है. इसके अलावा यहां से भारी वाहनों के गुजरने पर हवा और वातावरण में कुछ देर तक सिर्फ धूल का अंबार छाया रहता है. हैरान करने वाली बात है कि यहां से गुजरने वाले बहुत कम लोग ऐसे मिले जिन्होंने मास्क लगा रखा था. इस सड़क पर अगर आप थोड़ा समय रुकें तो श्वास संबंधी रोग भी हो सकता है.

न्यूज़ 18 लोकल ने यहां फूड स्टॉल लगाने वाले कुछ दुकानकदारों से बात की तो उन्होंने कैमरे पर न आने की शर्त पर बताया कि आवास विकास परिषद का इस सड़क पर बिल्कुल ध्यान नहीं है. यहां हम धूल से परेशान रहते हैं, लेकिन आजीविका की खातिर यहां रहना हमारी मजबूरी है.

वहीं, आवास विकास परिषद के सिविल इंजीनियर राकेश चंदर ने बताया कि रोजाना इस सड़क पर आवास विकास परिषद के एंटी स्मॉग गन और टैंकर द्वारा पानी का छिड़काव किया जा रहा है.

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