गाज़ियाबाद में बढ़ी मोदक की डिमांड, जानिए माता पार्वती, गणेश जी और मोदक की कहानी..


रिपोर्ट: विशाल झा

गाजियाबाद: गणपति बप्पा मोरया, मंगलमूर्ति मोरया’ के जयकारों से जिले में गणेश उत्सव का शानदार आगाज हो चुका है. घरों-पंडालों में विराजित गणपति की सुंदर प्रतिमा के लोग दीदार कर रहे हैं. 10 दिनों तक चलने वाले इस गणेश उत्सव के आखिरी दिन बप्पा को विसर्जित कर दिया जाता है. इस मंगल कामना के साथ की अगले वर्ष बप्पा फिर आएंगे. लेकिन गणेश उत्सव में जो एक चीज सबसे ज्यादा चर्चा में रहती है, वो है भगवान गणेश का सबसे प्रिय मोदक.

कोविड काल के बाद इस वर्ष भक्तों में गणेश उत्सव का भारी उत्साह देखने को मिल रहा है. दुकाने-बाजार भी सजे हुए हैं. इस बार भक्तों में मोदक की काफी ज्यादा डिमांड देखने को मिल रही है. भगवान को चढ़ाने के साथ-साथ मोदक के स्वाद का भी भक्त आनंद ले रहे हैं.

जानिए किस मोदक की है ज्यादा डिमांड?
इस बार बाजारों में मावा मोदक, केसर मावा मोदक, बूंदी मोदक, बेसन मोदक, रोस्टेड मोदक और ड्राई फुट मोदक की विशेष डिमांड देखी जा रही है. News 18 Local कों सुगंध स्वीट के ऑनर राहुल ने बताया कि, हमने विभिन्न प्रकार के मोदक तैयार किए हैं. हमें मोदक के काफी ऑर्डर्स मिल रहे हैं. इस बार बाजारों में फिर से कोरोना काल के पहले वाली रौनक देखने कों मिल रही है.

क्या है मोदक से जुड़ी पौराणिक कथा?
यूं तो मोदक से जुड़ी काफी सारी कथाएं प्रचलित हैं. पर जिस कथा का सबसे ज्यादा जिक्र किया जाता है. वो है भगवान गणेश और कार्तिकेय से जुड़ी.मान्यता है कि, एक बार पार्वती देवी को देवताओं ने अमृत से तैयार किया हुआ एक मोदक दिया था. मोदक देखकर माता पार्वती के दोनों बालक (कार्तिकेय और गणेश) इस मोदक को माता से मांगने लगे. तब माता ने उनके सामने एक शर्त रखी और कहा कि, तुम में से जो धर्माचरण के द्वारा श्रेष्ठता प्राप्त करके सर्वप्रथम सभी तीर्थों का भ्रमण कर वापस आएगा उसी को मैं ये मोदक दूंगी. माता की बात सुनकर कार्तिकेय तुरंत मयूर पर सवार होकर सभी तीर्थों का स्नान करने चले गए.

वहीं गणेश जी ने अपनी सूझबूझ का परिचय देते हुए श्रद्धा पूर्वक माता-पिता की परिक्रमा करके माता पार्वती के सामने खड़े हो गए. यह देख माता पार्वती प्रसन्न होकर कहती हैं कि, समस्त तीर्थों में किया हुआ स्नान, संपूर्ण देवताओं को किया हुआ नमस्कार,सभी यज्ञों का अनुष्ठान तथा सभी प्रकार के व्रत,मंत्र,योग और संयम का पालन करना माता-पिता के पूजन के 16वें अंश के बराबर भी नहीं होते. इसके बाद माता पार्वती जी ने मोदक भगवान गणेश जी को दे दिया.

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