Exclusive: UP के DGP का आदेश, शिकायत का इंतजार किए बिना नफरत भरे बयानों पर तत्काल करें सख्त कार्रवाई


हाइलाइट्स

यूपी पुलिस को शिकायत का इंतजार किए बिना नफरत से भरे बयानों पर कार्रवाई का आदेश.
सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सहित 3 राज्यों से ऐसे मामलों पर एक रिपोर्ट देने के लिए कहा था.
DGP ने कहा कि इसमें किसी भी लापरवाही को ‘अदालत की अवमानना’ माना जा सकता है.

लखनऊ. उत्तर प्रदेश (यूपी) के पुलिस प्रमुख ने शिकायत का इंतजार किए बिना राज्य में नफरत से भरे बयानों के मामले में पुलिस को खुद सख्त कार्रवाई का आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट (SC) के उत्तर प्रदेश सहित तीन राज्यों से ऐसे मामलों में की गई कार्रवाई पर एक रिपोर्ट देने के लिए कहने के बाद ये आदेश दिया गया था. News18 के पास इस महीने की शुरुआत में यूपी के पुलिस महानिदेशक (DGP) देवेंद्र सिंह चौहान द्वारा जारी किए गए आदेशों की एक कॉपी है. जिसमें किसी भी घृणा अपराध या अभद्र भाषा के उपयोग के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आदेश दिया गया है.

डीजीपी का आदेश कहता है कि अभद्र भाषा या घृणा अपराध के मामले में शिकायत हासिल होने पर या कोई शिकायत न होने की हालत में पुलिस को स्वयं संज्ञान लेना चाहिए और एफआईआर दर्ज करनी चाहिए और आरोपी के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए. उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय (SC) के उस आदेश का भी उल्लेख किया है कि इन आदेशों का पालन करने में किसी भी लापरवाही को ‘अदालत की अवमानना’ के रूप में देखा जा सकता है और संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है.

SC ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने इस साल 21 अक्टूबर को यूपी, दिल्ली और उत्तराखंड की सरकारों को एक नोटिस जारी किया था. जिसमें नफरत भरे बयानों के मामलों में क्या कार्रवाई की गई थी, इस पर रिपोर्ट मांगी गई थी. शाहीन अब्दुल्ला नाम के एक शख्स ने अपनी याचिका में कहा था कि देश में मुसलमानों के खिलाफ नफरत भरे बयानों का बोलबाला है. अपने अंतरिम निर्देश में सुप्रीम कोर्ट ने तीनों राज्यों को आदेश दिया कि जब भी कोई नफरत भरा बयान या काम होता है, तो भारतीय दंड संहिता की धारा 153A, 153B और 295A और 505 का मामला बनता है. कोई शिकायत नहीं होने पर भी मामला दर्ज करके कानून के अनुसार अपराधियों के खिलाफ स्वत: कार्रवाई की जाएगी. सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों से यह भी कहा कि वे अपने अधीनस्थों को निर्देश जारी करें ताकि जल्द से जल्द कानूनी आधार पर उचित कार्रवाई की जा सके.

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सुप्रीम कोर्ट ने अपने अक्टूबर के आदेश में कहा था कि हम यह भी साफ करते हैं कि चाहे किसी भी धर्म का व्यक्ति हो, अगर वह नफरत भरे बयान देने या नफरत फैलाने का काम करता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. जिससे संविधान की प्रस्तावना में पेश किए गए भारत के धर्मनिरपेक्ष चरित्र को संरक्षित और सुरक्षित किया जा सके. कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता की ओर से कहा था कि ये शिकायत इस धारणा से पैदा निराशा और गुस्से का नतीजा थी कि कानून में कई प्रावधान होने के बावजूद इस तरह के मामलों में कुल मिलाकर निष्क्रियता देखी गई है. याचिका में कहा गया था कि मुस्लिम समुदाय के खिलाफ कई व्यक्तियों के नफरत फैलाने वाले बयानों की एक सीरिज थी और इस तरह के अपराध लगातार बढ़े हैं.

Tags: Hate Speech, Supreme Court, UP police



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