Dussehara 2022: जिस जगह पहली बार मिले थे रावण और मंदोदरी, वहीं होगा देश के सबसे बड़े दशानन पुतले का दहन


हाइलाइट्स

भैंसाली मैदान में 5 अक्टूबर से रामलीला का मंचन शुरु हो जाएगा
कुछ लोग रावण का पुतला दहन देखना अशुभ मानते हैं

मेरठ. 5 अक्टूबर को दशहरा है. समूचे देश में बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाया जाएगा. जगह-जगह रावण के पुतले का दहन होगा. लेकिन रावण की ससुराल माने जाने वाले मेरठ में देश के सबसे विशालकाय दशानन का दहन होगा. और ये दहन उसी स्थान पर होगा जहां पहली बार रावण और मंदोदरी मिले थे.

रावण की सुसराल कहे जाने वाले मेरठ में इस बार संभवत: देश में सबसे विशालकाय 130 फीट के रावण का दहन होगा. इस बार उसी स्थान पर रामलीला का मंचन और दशानन का दहन होगा, जहां कभी रावण और मंदोदरी की मुलाकात हुई थी. मेरठ में इस बार बेहद हाईटेक रामलीला का आयोजन किया जा रहा है. मान्यता है कि पहले इस स्थान पर तालाब हुआ करता था, जहां मंदोदरी आया करती थीं. यहां से कुछ ही दूरी पर स्थित बिल्लेश्वर नाथ महादेव मंदिर में वो पूजन अर्चन के लिए जाय करती थीं. रामलीला कमेटी के महामंत्री गणेश अग्रवाल का कहना है कि इस बार 130 फीट का रावण दहन होगा.

विशालकाय पुतले का दहन होगा
भैंसाली मैदान में 5 अक्टूबर से रामलीला का मंचन शुरु हो जाएगा. इस बार रावण, कुम्भकर्ण, मेघनाद के सबसे विशालकाय पुतले का दहन होगा. रावण का पुतला बनाने वाले कारीगर का कहना है कि इस बार रावण ऐसे अट्टहास करता नज़र आएगा जो शायद ही इससे पहले कहीं हुआ होगा. रावण का पुतला बनाने वाले कारीगर पिछले 42 साल से इसी काम में जुटे हुए हैं. रावण का पुतला बनाने वाले असलम भाई का कहना है कि जब तक सांस में सांस है वो रामकाज में जुटे रहेंगे.

रावण का पुतला दहन देखना अशुभ मानते हैं
वहीं रावण की ससुराल कहे जाने वाले मेरठ में कुछ लोग रावण का पुतला दहन देखना अशुभ मानते हैं. और तो और मान्यताओं के अनुसार जिस मंदिर में कभी मेरठ की बेटी मानी जाने वाली मयदानव की पुत्री मंदोदरी पूजा करने के लिए आया करती थीं, उस मंदिर के पुजारी का कहना है कि रावण तो मेरठ का दामाद माना जाता है. ऐसे में प्रकाण्ड विद्वान का पुतला दहन कैसे देख सकते हैं. पंडित हरीश चन्द्र जोशी का कहना है कि लक्ष्मण ने भी रावण से ज्ञान प्राप्त किया था. इसलिए वो रावण को गुरु की संज्ञा देते हैं.

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