कोरोना वायरस की जांच करते डॉक्टर।
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बीएचयू के वैज्ञानिकों को अश्वगंधा के मॉलिक्यूल से कोरोना वायरस के जीन को नष्ट करने में सफलता मिली है। विश्व में कोरोना वायरस पर अश्वगंधा के मॉलिक्यूल के प्रभाव का पहली बार सफल अध्ययन हुआ है। इसे जर्मन पेटेंट भी मिल चुका है। संभावना है कि वर्ष के अंत तक कोरोना के खिलाफ बड़ा हथियार भारत को मिल जाएगा।बीएचयू के वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं की टीम ने तीन साल की मेहनत के बाद सफलता पाई है।
तीन हजार से अधिक मॉलिक्यूल और 41 पौधों के परीक्षण के बाद अश्वगंधा के मॉलिक्यूल ने 87 फीसदी से अधिक कोरोना वायरस को खत्म करने में मदद की। विज्ञान संस्थान के सेंटर फॉर जेनेटिक डिसऑर्डर्स के प्रो. परिमल दास ने बताया कि सार्स कोवटू वायरस ने जन स्वास्थ्य के लिए वैश्विक खतरा पैदा कर दिया है।
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अश्वगंधा से निकलने वाले सॉम्निफेरिसिन फाइटो मॉलिक्यूल ग्रोथ इनहिबिटर इस वायरस से निपटने के लिए एक प्रभावी हथियार बन सकता है। अश्वगंधा का यह मॉलिक्यूल कोरोना के तीन जीन को एक साथ खत्म करने में मददगार होगा। इसका ट्रायल ह्यूमन सेल पर भी सफल रहा है। सरकार की मदद से जल्द इसका क्लीनिकल ट्रायल किया जाएगा। शोध टीम में वायरोलॉजी, फार्माकोलॉजी और आणविक जीव विज्ञान के विशेषज्ञ शामिल थे। प्रशांत रंजन, नेहा, चंद्रा देवी, डॉ. गरिमा जैन, प्रशस्ति यादव, डॉ. चंदना बसु मलिक और डॉ. भाग्य लक्ष्मी महापात्रा ने महत्वपूर्ण कार्य किया है।