Buland Darwaza : बरेली की शान बनेगा बुलंद दरवाजा, ऐतिहासिक धरोहर में होगा शामिल, जानें खासियत


रिपोर्ट – अंश कुमार माथुर

बरेली. यूपी के बरेली में दरगाह खानकाह-ए-नियाजिया के साथ अब बुलंद दरवाजे का नाम जुड़ने जा रहा है. बरेली शहर में ऐतिहासिक धरोहर के रूप में 21वीं सदी का ये बुलंद दरवाजा भी शामिल होगा. सूफी परंपरा के अजीम बुजुर्ग नियाज बेनियाज हजरत शाह नियाज अहमद की दरगाह दुनिया भर में मशहूर है. बॉलीवुड के चमकते सितारे हो या संगीत से जुड़ी बड़ी हस्तियां या फिर कोई आम अकीदतमंद हर कोई दरगाह पर हाजिरी लगाने जरूर पहुंचता है. साथ ही आम दिनों में भी खानकाह में अकीदतमंदों का हुजूम उमड़ता है, जो अब यहां आने वाले समय में पहुंचने वालें जायरीनों को बुलंद दरवाजे से होता हुआ सीधा खानकाह नियाजिया में दाखिल करायेगा. आपको बता दें पिछले तीन साल से बन रहे इस दरवाजे को मुगलकालीन हस्तशिल्प, भारतीय, फारसी एंव तुर्की वास्तुकला के मिश्रण से तैयार किया जा रहा है, जो खानकाह में आने वालों के लिए एक सेल्फी प्वाइंट की तरह होगा.

लगभग 65 फीट ऊंचे बुलंद दरवाजा को नक्काशी, मीनाकारी, पच्चीकारी से तराशा जा रहा है. इसके अलावा इसमें संगमरमर की जालियां, भूरे और सफेद रंग में मेहराबें, मीनारें इसकी खूबसूरती में चार चांद लगा रही हैं. वहीं, फूल पत्तियों में नीले, हरे, भूरे रंग की मीनाकारी इसको मुगलकालीन इमारत की तरह एक अलग ही आकर्षण का केंद्र बना रही है. इसको बनाने में मकराना संगमरमर और लाल पत्थर का उपयोग किया गया है. अब इसका निर्माण जो बचा हुआ है वह भी कुछ ही हफ्तों में पूरा हो जाएगा.

बुलंद दरवाजे की तर्ज पर हो रहा निर्माण
दरवाजे के काम को पूरा होने के बाद इसके पास फव्वारा, फर्निश झाड़ आदि से इसकी साज-सज्जा की जाएगी. खानकाह के मौजूदा सज्जादानशीन मेहंदी मियां बताते हैं कि पिता और खानकाह के पूर्व सज्जा दानशीन हजरत हसनी मियां ने कुछ वर्ष पहले अजमेर की ख्वाजा गरीब नवाज दरगाह पर बने बुलंद दरवाजे की तर्ज पर बरेली में भी इसका निर्माण कराने की बात कही थी. इसके बाद 2020 में उनका निधन हो जाने के बाद से वह अपनी देखरेख में निर्माण करवा रहे हैं.

गुजरात, तेलंगाना और राजस्थान के हस्तशिल्पी उकेर रहे कला
खानकाह के प्रबंधक शाह मोहम्मद सिब्तैन उर्फ शब्बू मियां नियाजी ने बताया कि खानकाह के पूर्व सज्जा दानशीन हजरत हसनी मियां ने बुलंद दरवाजे को दरगाह के मुख्य द्वार के रूप में बनवाने का विचार किया था. इसके बाद तीन वर्ष पहले इसका काम शुरू हुआ जो अब अंतिम चरण में है. इस दरवाजे को बनाने में तेलंगाना, गुजरात राजस्थान के हस्तशिल्पी इस पर अपनी कला का जौहर दिखा रहे हैं. पिछले 3 साल से बुलंद दरवाजे का निर्माण कार्य खानकाह में चल रहा है. जो अजमेर के ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह पर बने बुलंद दरवाजे की तरह अब बरेली की खानकाह नियाजिया चौखट पर बुलंद होगा.

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