इसी परपंरा को आगे बढ़ते बुधवार के धुलंडी के दिन गांव में जूता-चप्पल मार होली खेली गई। फाल्गुन माह आते ही ब्रज में होली महोत्सव, होलिका दहन, हुरंगा जैसे कार्यक्रम आयोजित होने लगते हैं। ब्रज में आपने रंगों की होली, लठ्ठमार होली, कपड़ा फाड़ होली, कीचड़ होली मनाते तो सुना होगा। लेकिन, एक जगह ऐसी भी है जहां एक-दूसरे को गुलाल लगाने के साथ जूता-चप्पल मारकर होली खेली जाती है।
सुनकर आपको थोड़ा अजीब लगेगा, लेकिन ब्रज की इस अनोखी होली का अपना अगल ही अंदाज है। खुटैलपट्टी के बछगांव गांव के लोग अपने से कम उम्र के लोगों को गुलाल लगाने के साथ सिर पर जूता-चप्पल मारकर होली की शुभकामनाएं और आशीर्वाद देते हैं। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है।
गोवर्धन तहसील क्षेत्र के गांव में 150 वर्ष से जूता-चप्पल मारकर होली मनाने की पंरपरा चली आ रही है। इसमें खास बात यह है कि अपने छोटे लोगों को जूता-चप्पल मारकर देश में अंग्रेजों द्वारा किए जुल्म को याद दिलाया जाता है। साथ ही भविष्य में किसी भी संघर्ष से तटस्थता से निपटने का आशीर्वाद दिया जाता है।
होली की इस परंपरा के साथ लोगों को सकारात्मक विचारों और सही दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया जाता है। इसके बाद बुजुर्ग होली, बृजगीत, रसिया समेत विभिन्न फगुआ गीतों का गायन करते हैं। इस प्रकार से ब्रज के बछगांव में इस अद्भुत परपंरा के साथ होली मनाई जाती है।