ब्रज की अद्भुत होलीः गुलाल लगाने के साथ सिर पर मारते हैं जूता, उमड़ता है सैलाब, पढ़ें और जानें क्या है महत्व ? – They Play Holi By Hitting Shoe And Slippers On Each Other In Bachgaon Village Of Sonkh Town In Mathura


उत्तर प्रदेश की तीर्थनगरी मथुरा में इन दिनों होली की धूम है। बुधवार को धुलंडी पर्व धूमधाम से मनाया गया। यहां सौंख कस्बा क्षेत्र के एक गांव में जूतम-पैजार वाली अनोखी होली खेली जाती है। कहा जाता है यह होली अंग्रेजी हुकूमत द्वारा किए गए जुल्म के विरोध में शुरू की गई थी। कहा जाता है कि लोग अपने से छोटे लोगों को जूता-चप्पल मारकर किसी भी संघर्ष से बेखौफ होकर लड़ने के लिए आशीर्वाद देते हैं।     

सौंख कस्बा क्षेत्र के बछगांव गांव में अंग्रेजी हुकुमत द्वारा किए गए जुल्म के विरोध में अनोखी होली खेलने का प्रचलन है। करीब 150 वर्ष पुरानी यह परपंरा धुलंडी के दिन निभाई जाती है। इसे युवा पीढ़ी को सकारात्मक विचारों के साथ सही दिशा दिखाने का सूचक माना जाता है। इस दौरान आयु में बड़े लोग अपने से छोटे लोगों को चप्पल और जूता मारकर आशीर्वाद देते हैं। उसे जीवन में किसी भी संघर्ष से लड़ने के लिए प्रेरित करते हैं। 



इसी परपंरा को आगे बढ़ते बुधवार के धुलंडी के दिन गांव में जूता-चप्पल मार होली खेली गई। फाल्गुन माह आते ही ब्रज में होली महोत्सव, होलिका दहन, हुरंगा जैसे कार्यक्रम आयोजित होने लगते हैं। ब्रज में आपने रंगों की होली, लठ्ठमार होली, कपड़ा फाड़ होली, कीचड़ होली मनाते तो सुना होगा। लेकिन, एक जगह ऐसी भी है जहां एक-दूसरे को गुलाल लगाने के साथ जूता-चप्पल मारकर होली खेली जाती है। 


सुनकर आपको थोड़ा अजीब लगेगा, लेकिन ब्रज की इस अनोखी होली का अपना अगल ही अंदाज है। खुटैलपट्टी के बछगांव गांव के लोग अपने से कम उम्र के लोगों को गुलाल लगाने के साथ सिर पर जूता-चप्पल मारकर होली की शुभकामनाएं और आशीर्वाद देते हैं। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। 


गोवर्धन तहसील क्षेत्र के गांव में 150 वर्ष से जूता-चप्पल मारकर होली मनाने की पंरपरा चली आ रही है। इसमें खास बात यह है कि अपने छोटे लोगों को जूता-चप्पल मारकर देश में अंग्रेजों द्वारा किए जुल्म को याद दिलाया जाता है। साथ ही भविष्य में किसी भी संघर्ष से तटस्थता से निपटने का आशीर्वाद दिया जाता है। 


होली की इस परंपरा के साथ लोगों को सकारात्मक विचारों और सही दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया जाता है। इसके बाद बुजुर्ग होली, बृजगीत, रसिया समेत विभिन्न फगुआ गीतों का गायन करते हैं। इस प्रकार से ब्रज के बछगांव में इस अद्भुत परपंरा के साथ होली मनाई जाती है। 




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