

पर्यावरण के बिगड़ते संतुलन का असर दुनियाभर में दिख रहा है. दुनियाभर की सरकारें इसके लिए पहल कर रही हैं. भारत में भी सरकारों के साथ-साथ जागरूक लोग भी अपने स्तर से काम कर रहे हैं. इन्हीं में से एक हैं रामवीर तंवर. वह तालाबों को बचाने के काम में लगे हैं. लोग उन्हें ‘पॉन्ड मैन’ के नाम से पुकारने लगे हैं.
रामवीर तंवर नोएडा के डाढ़ा-डाबरा गांव के रहने वाले हैं. उन्होंने 12वीं के बाद मैकेनिकल इंजीनियरिंग में दाखिला लिया. डिग्री के बाद जॉब मिली. एक मल्टीनेशनल कंपनी में अपनी अच्छी खासी तनख्वाह छोड़कर उन्होंने पर्यावरण को बचाने का बीड़ा उठाया. अब तक रामवीर लगभग 40 तालाबों को पुनर्जीवित कर चुके हैं. वो कई राज्यों में तालाबों को संरक्षित कर चुके हैं.
कोचिंग के बच्चों के साथ ‘जल चौैपाल’ की शुरुआत की.
न्यूज़ 18 से बात करते हुए वो कहते हैं, “जिस तरह हमारे पूर्वजों ने हमारे लिए कई धरोहरें छोड़ी हैं. जैसे ताजमहल, लालकिला आदि. उन्हीं में से एक तालाब भी है. तालाब हमारे इतिहास में जल संरक्षण की पुरानी पद्धति है. लेकिन तालाब सूखते जा रहे हैं. तो क्या हम अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए सूखे तालाबों के गड्ढे छोड़कर जाएंगे. हमें अपनी आने वाली पीढ़ी के लिए तालाबों को संरक्षित रखना होगा.”
कैसे की तालाब बचाने की शुरुआत
रामवीर तंवर नोएडा के रहने वाले हैं. वो बताते हैं, “जब मैं इंजीनियरिंग के फर्स्ट ईयर में था तब बच्चों को ट्यूशन पढ़ाता था. तभी मैंने कोचिंग के 30-40 बच्चों के साथ मिलकर एक पहल की जिसका नाम रखा ‘जल चौपाल.’ इसमें हम बच्चों और गांव के लोगों के साथ मिलकर जल संरक्षण पर चर्चा किया करते थे.” इसके बाद उन्होंने आगे चलकर इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की और एक एमएनसी में नौकरी जॉइन कर ली. नौकरी करने के साथ ही साथ वो समय निकाल कर जल संरक्षण पर चर्चा किया करते थे.
वो याद करते हुए कहते हैं कि बचपन में हम तालाबों में नहाने जाया करते थे. खेला करते थे. लेकिन आज वे तालाब कचरे के ढेरों में बदल रहे हैं. जिससे आज की पीढ़ी को वैसी जिंदगी नहीं मिल पा रही है जैसी जिंदगी हमने जी है.
भारत में शुरू हुए स्वच्छता अभियान ने उन्हें काफी प्रभावित किया. जिसके बाद उन्होंने तालाबों को बचाने के काम को आगे बढ़ाने के विषय में सोचा. लेकिन नौकरी करते हुए ये काम करना बेहद मुश्किल हो रहा था. उसके बाद 2017 के आखिर में उन्होंने नौकरी छोड़कर पूरी तरह से तालाबों को बचाने के काम में लगने का निश्चय किया. वो कहते हैं, “इस काम को आगे बढ़ाने के लिए मैंने जनवरी 2018 में अपनी नौकरी छोड़ दी.”

इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़कर तालाबों को पुर्नजीवित करना शुरु किया.
परिवार ने किया काम का विरोध
वो कहते हैं कि समाज में धारणा आम है कि इंजीनियरिंग जैसी डिग्री लेने के बाद आपको किसी अच्छी कंपनी में नौकरी ही करनी है. शुरुआत में जब मैंने नौकरी छोड़ी तो परिवार वालों ने काफी विरोध किया. साफ-सफाई के काम को वैसे भी गांव में निम्न श्रेणी का काम माना जाता है. जिसके कारण घरवालों को तालाबों को साफ करने का मेरा काम पसंद नहीं आ रहा था. लेकिन उन्होंने परिवार के विरोध को झेलते हुए अपना काम जारी रखा. लोगों को जागरूक करके अपने साथ जोड़ा और तालाबों को साफ किया.
पहली सफलता
वो अपने गांव में ‘जल चौपाल’ नाम की साप्ताहिक बैठक का आयोजन करते हैं. जिसमें गांव के हर वर्ग के व्यक्तियों बच्चा, बूढ़ा, जवान, महिला, पुरुष सभी से चर्चा करते हैं. साथ ही आस-पास के तालाबों को स्वच्छ और जीवंत रखने की योजना पर काम करते हैं. लोगों ने जब उनके काम को सराहना शुरू किया तो दूसरों गांवों तक उनकी ख्याति बढ़ने लगी. शुरुआत में कम पैसों की लागत लगी. गांव के लोगों ने सफाई के साधनों को जुटाने में उनकी मदद की. लोगों ने उनके साथ तालाब की सफाई करने में मेहनत की. आस-पास के गांवों में भी जल-चौपाल का आयोजन करना शुरू कर दिया. उसके बाद जब उनकी इस पहल की जानकारी उनके जिले के पूर्व डीएम को लगी तो उन्होंने रामवीर के काम की सराहना करते हुए 2 मिनट की डॉक्यूमेंट्री शूट करवाई. जो रामवीर के लिए बड़ी खुशी की बात थी. वो कहते हैं, “जब मैंने शुरुआत की, तो मेरे पास कोई रोडमैप नहीं था, लेकिन मुझमें बदलाव लाने का जुनून था.” जिसके चलते उन्होंने अपने गांव के साथ ही आस-पास के गांवों के तालाबों को साफ कर पुनर्जीवित किया. रामवीर अब तक 40 से अधिक तालाबों को साफ और संरक्षित कर चुके हैं.

अब तक 40 तालाब पुर्नजीवित कर चुके हैं.
सोशल मीडिया पर #SelfieWithPond अभियान
वो कहते हैं उन्होंने लोगों को जागरूक करने के लिए सोशल मीडिया की मदद से एक अभियान चलाया. जो लोगों के बीच काफी लोकप्रिय रहा है. जिससे दूसरे राज्य के लोगों ने भी मेरे काम को सराहा और मैंने इस काम को आगे बढ़ाते हुए दूसरे राज्यों में भी जाकर लोगों को तालाब बचाने के अभियान से जोड़ा. उन्होंने यूपी के कई इलाकों, जैसे ग्रेटर नोएडा के चौगानपुर, रौनी गांव, गाजियाबाद के मोरटा गांव, सहारनपुर के नानाखेड़ी गांव सहित राजधानी दिल्ली के गाज़ीपुर गांव के पानी में पड़े कचरे को साफ करके उसे स्वच्छ तालाब में बदल दिया है. इस काम के चलते उन्होंने ‘से अर्थ’ (Say Earth) नाम से एक संस्था की स्थापना की.
कैसे कहलाए ‘पॉन्ड मैन’
रामवीर के तालाब को बचाने के प्रयासों के कारण उन्हें लोगों ने ‘पॉन्ड मैन’ कहना शुरू कर दिया है. इस काम के चलते उन्हें यूपी के कई जिलों के नगर निगमों में जल और तालाब संरक्षण के लिए सलाहकार के रूप में भी नियुक्त किया गया. रामवीर स्वच्छ भारत मिशन गाज़ियाबाद के ब्रांड एंबेसडर भी हैं.
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में उनका जिक्र कर उनके काम को सराहा. वो कहते हैं कि उनके परिवार में सभी लोग उनके काम का समर्थन करते हैं साथ ही उस काम में उनका साथ भी देते हैं. उनके साथ लगभग 100 लोगों की टीम काम करती है. वो अब तक अलग-अलग सात राज्यों में 40 तालाबों को पुनर्जीवित कर चुके हैं.
पर्यावरण संरक्षण के लिए लगा रहे हैं जंगल
अब वो शहरों में पेड़ों की कमी को देखते हुए छोटे-छोटे जंगल बनाने का भी काम कर रहे हैं. जिनमें लगभग 5000 से 10000 पौधे लगाकर उनका संरक्षण करते हैं. जिससे शहरों में भी जंगलों का निर्माण किया जा सके. लोगों को शुद्ध ऑक्सीजन मिल सके.
इतने मिल चुके हैं सम्मान
रामवीर को अब तक कई नेशनल और इंटरनेशनल अवार्ड मिल चुके हैं. ताइवान में शाइनिंग वर्ल्ड प्रोटेक्शन अवार्ड के साथ ही ICONGO और संयुक्त राष्ट्र द्वारा स्थापित रेक्स करमवीर चक्र पुरस्कार भी उन्हें मिल चुका है. 2020 में उन्हें राष्ट्रीय स्वयं सिद्ध सम्मान और पर्यावरण सम्मान से सम्मानित किया गया था. उन्हें देशभर में होने वाले पर्यावरण के कार्यक्रमों में वक्ता के तौर पर बुलाया जाता है. वो दिल्ली यूनिवर्सिटी और जेएनयू के कार्यक्रमों में बतौर वक्ता शामिल हो चुके हैं.
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Tags: Environment news, News18 Hindi Originals, Water
FIRST PUBLISHED : July 21, 2022, 17:12 IST
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