Ayodhya : रामलला के साथ ‘जैन धर्म’ से भी अयोध्या का खास रिश्‍ता, जानें क्‍यों?


रिपोर्ट- सर्वेश श्रीवास्तव

अयोध्या. यूपी के अयोध्या की वैसे तो भगवान राम के जन्म स्थान के लिए पहचान है, लेकिन क्या आपको पता है कि राम नगरी का जैन धर्म से भी गहरा नाता है. आज हम आपको बताते हैं कि अयोध्या क्यों जैन धर्म के लिए इतनी खास है. दरअसल जैन और हिंदू धर्म दोनों एक दूसरे से अलग हैं, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि यह एक ही कुल के धर्म हैं.

बहरहाल, करोड़ों वर्ष पूर्व जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव का जन्म अयोध्या में हुआ था. जैन धर्म के संस्थापक ऋषभदेव का ऋग्वेद, अथर्ववेद, मनुस्मृति तथा भागवत आदि ग्रंथों में भी वर्णन मिलता है. जैन परंपरा के अनुसार 24 तीर्थकरों में से पांच का जन्म स्थान अयोध्या है, जिसमें आदिनाथ, अजीत नाथ, अभिनंदन नाथ, सुमित नाथ और अनंतनाथ शामिल हैं.

जैन धर्म के लिए क्‍यों खास है अयोध्‍या?
बता दें कि करोड़ों वर्ष पूर्व चैत्र कृष्ण पक्ष को ऋषभदेव भगवान का जन्म अयोध्या में हुआ था, इसलिए अयोध्या भी जैन धर्म के तीर्थ स्थल में से एक महत्वपूर्ण जगह है. जैन धर्म के हजारों श्रद्धालु अपने आराध्य के दर्शन पूजन करने के लिए अयोध्या आते हैं. वहीं,जैन धर्म के जानकार चंदन जैन बताते हैं कि अयोध्या जैन धर्म का शाश्वत तीर्थ क्षेत्र है, क्‍योंकि 24 तीर्थंकरों में से 5 तीर्थंकरों की जन्मभूमि अयोध्या है. इन्हीं अवतार को हम लोग भगवान मानते हैं. भगवान का अवतार जहां होता है वहां शाश्वत भूमि होती है. इसके अलावा उसको तीर्थ भूमि मानी जाती है. अयोध्या में जैन धर्म के कुल नौ मंदिर हैं.

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