गोरखपुर में बिचौलिए बनवा रहे अस्थायी लाइसेंस।
– फोटो : अमर उजाला।
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आरटीओ की ओर से ऑनलाइन प्रक्रिया के तहत बनाए जा रहे लर्निंग लाइसेंस में दलालों ने सेंधमारी कर ली है। बुधवार को अमर उजाला के रिपोर्टर ने सिविल लाइंस स्थित पुराने आरटीओ कार्यालय के पास एक साइबर कैफे में बैठे बिचौलिए से लाइेंसस बनवाने की बात की, तो परिवहन विभाग के व्यवस्था पारदर्शी होने के दावे की पोल खुल गई। दलाल के साथ बातचीत की रिकॉर्डिंग अमर उजाला के पास मौजूद है।
दरअसल, परिवहन विभाग ने लर्निंग लाइसेंस के आवेदकों को घर बैठे परीक्षा देने की सुविधा दी है, लेकिन 50 फीसदी से अधिक आवेदकों के आवेदन घर पर परीक्षा देने के बाद निरस्त हो जा रहे हैं। ऐसा कैमरे के हिलने-डुलने और परीक्षा के दौरान आवाज होने से हो रहा है। इससे उन्हें फेल मान लिया जाता है।
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फेल होने के बाद लर्निंग लाइसेंस के आवेदक परीक्षा देने के लिए पुराने आरटीओ कार्यालय के आसपास स्थित साइबर कैफे पहुंचते हैं। जहां पहले से बैठे बिचौलिए परीक्षा देने आए आवेदकों को फंसाते हैं और परीक्षा पास कराने का दावा करते हैं, लेकिन इसके बदले में आवेदकों से 1500 से 2000 रुपये देने की मांग करते हैं। लर्निंग लाइसेंस की परीक्षा पास होने के लिए अधिकतर आवेदक बिचौलिए के जाल में फंस जाते हैं।
परीक्षा के समय बिचौलिए बड़ी साफगोई से बैठकर सवालों को हल करा देते हैं। उन्हें ऐसे सवालों की लिस्ट आरटीओ कार्यालय से ही मिल जाती है। सवाल एक ही तरह के होते हैं, जिसे बदल-बदल कर पूछा जाता है। यह खेल हर दिन पुराने आरटीओ कार्यालय यानी अब नए एसएसपी कार्यालय के बाहर खुलेआम चलता रहता है। इस खेल में विभाग के लोगों की भी मिलीभगत है।