अब चंबल में लीजिए आयुर्वेद पर्यटन और सैंड बाथ का लाभ, 17 जुलाई को इस खास जगह से होगी शुरुआत


इटावा. दुनिया के एक मात्र पांच नदियों के संगम पचनद बेहतर बदलाव को करवट ले रहा है. चंबल क्षेत्र में अब आर्युर्वेद पर्यटन की शुरुआत होने जा रही है. पांच नदियों का संगम स्थल पचनद पर उत्तर प्रदेश का पहला आयुर्वेद पर्यटन केंद्र खुलने जा रहा है. यहां योग और आयुर्वेद उपचार के साथ ठंडे और गर्म रेत से स्नान की भी व्यवस्था होगी. इसके लिए विशेषज्ञ टीम तैयार की गई है.

आयुर्वेद पर्यटन की विधिवत प्रारंभ चंबल यमुना के संगम पर औरैया जिले में जुहिखा और तातारपुर गांव के बीच में फैले विशाल रेत के मैदान में 17 जुलाई को होगा. चंबल के बीहड़ों की सकारात्मक पहचान और बेहतर पर्यटन क्षेत्र की छवि बनाने के लिए चंबल फाउंडेशन लंबे समय से बीहड़ में बदलाव की मुहिम चलाए हुए है. इसी की कड़ी में अब इटावा, औरैया और जालौन जिले की सीमा पर स्थित पांच नदियों के संगम पर आयुर्वेद पर्यटन की विधिवत शुरुआत की पहल की है.

हाॅट सैंड बाथ से इन बीमारियों में लाभ
दरअसल, चंबल के बीहड़ में बड़ी मात्रा में दुर्लभ जड़ी-बूटी पाई जाती हैं. यहां की रेत भी साफ और चांदी की तरह चमकीली है. हॉट सैंड बाथ के लिए लोग सहारा मरुस्थल में मिस्र की सिवा घाटी और कोल्ड सैंड बाथ के लिए मलेशिया जाते हैं. चंबल के किनारे दोनों ही बाथ बड़े आराम से उपलब्ध हैं. इनका प्रयोग एक्यूट पैन, मसल्स पैन, जॉइंट पैन, डिप्रेशन, अनोरोक्सिया, आदि बीमारियों की चिकित्सा में किया जाता है.

यहां पर मिलेंगी अलग-अलग थेरेपी
आयुर्वेद केंद्र में इसके अलावा योग, कवल, गंडूष, नेति, नेत्रधावन, अभ्यंग, शिरोधारा, आतप स्वेदन, सेंड थैरेपी, मड थैरेपी प्राचीन विधियों के द्वारा वैश्विक स्तरीय चिकित्सा उपलब्ध कराई जाएगी.

आयुर्वेद उपचार को विशेषज्ञों की टीम ने किया तैयार
आयुर्वेद उपचार को डॉ. मनोज दीक्षित, डॉ. कमल कुमार कुशवाहा, डॉ. श्रीकांत, योगाचार्य स्वेच्छा दीक्षित, डॉ. जय प्रकाश सिंह, डॉ. राजीव कुशवाहा, डॉ. नीलेन्द्र सिंह आदि विशेषज्ञों की टीम तैयार की गई है. योगचार्य स्वेच्छा यहां योगाभ्यास कराएंगी. चंबल घाटी के दस्तावेजी लेखक और चंबल परिवार प्रमुख डॉ. शाह आलम राना ने बताया, चंबल के बीहड़ औषधियों की खान हैं.

गुरूकुल विश्वविद्यालय के कुलपति रहे प्रोफेसर रत्नाकर शास्त्री ने अपनी पुस्तक ‘भारत के प्रणाचार्य’ में चंबल में पाई जाने वाली जड़ी-बूटियों का वर्णन किया है. आयुर्वेद पर्यटन को बढ़ावा देने से चंबल के उपेक्षित बीहड़ों में खुशहाली बयार चलेगी. डिविजनल आयुर्वेदिक व यूनानी अधिकारी डॉ मनोज दीक्षित ने बताया, आयुर्वेद पर्यटन से चंबल से विलुप्त हो रही आयुर्विधा के साथ रोजगार के नए आयाम सृजित होंगे. सम्पूर्ण विश्व मे चंबल को एक नई पहचान दिलाएगी.

आयुर्वेद के इलाज कैंसर तक में लाभकारी
डॉ. कमल कुशवाहा ने बताया, आयुर्वेद में कवल, गंडूष विधि का प्रयोग मुख के रोग, दांतों के रोग, आंखों के रोग और यहाँ तक कि मुख कैंसर तक में लाभकारी है. नेति विधि से नासागत सभी जटिल रोगों से लाभ प्राप्त होता है. डॉ. लोकेश कुमार सिंह ने बताया, शिरोधारा बौद्धिक क्षमता में वृद्धि, हृदय रोग एवम मानसिक रोगों में अत्यंत लाभकारी है. अभ्यंग पैरालिसिस में बहुत उपयोगी है इससे शरीर पूर्ण ऊर्जावान हो जाता है.

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